For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पत्नी बोली अजी सुनते हो
मुनुवा बहुत मिट्टी ख़ाता है
मैने कहा- ये असली राष्ट्र- निर्माता है
क्यूँ घबराती हो डियर
आगे चलकर बनेगा एंजीनियर
आज मिट्टी खा रहा है
कल गिट्टी खाएगा
परसों न जाने कितने पुल सड़क, बाँध और बड़ी- बड़ी परियोजनाओं
को चट कर जाएगा
राष्ट्र की मुख्य धारा मे शामिल हो जाएगा
सच्‍चे अर्थों मे यही विकास पुरुष कहलाएगा
तुम्हारा सुंदरी करण कराएगा
और मेरी नय्या पार लगाएगा
सच कहता हूँ मैं लड़का बहुत काम आएगा


आदित्य चतुरवेदी
मौलिक/ अप्रकाशित

Views: 3061

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by aman kumar on May 23, 2013 at 1:48pm

वाह… बहुत सुन्दर….
लाजवाब…

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 21, 2013 at 11:11pm

सुन्दर व्यंगात्मक रचना आदरणीय आदित्य चतुर्वेदी जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 21, 2013 at 9:48pm

परसों न जाने कितने पुल सड़क, बाँध और बड़ी- बड़ी परियोजनाओं
को चट कर जाएगा
राष्ट्र की मुख्य धारा मे शामिल हो जाएगा
सच्‍चे अर्थों मे यही विकास पुरुष कहलाएगा

बहुत बढिया हास्य व्यंग...हार्दिक बधाई आ० आदित्य चतुर्वेदी जी 

Comment by aditya chaturvedi on May 21, 2013 at 12:28pm

आभार / धन्यवाद

ओ. बी. ओ. के भाइयों किया बहुत तारीफ

 मुनुवा सबका हो गया, हम भी हुए शरीफ
हम भी हुए शरीफ, फँसी मुनुवा की अम्मा
नेता जेसा चरित्र कर रही छममा- छममा
राजनेताओं की हो गई सीपों- सीपों
आभार सहित, नमस्ते सर, ओ. बी. ओ.
आदित्य चतुर्वेदी

 

Comment by बृजेश नीरज on May 20, 2013 at 10:31pm

लखनऊ आयोजन के मंच संचालक महोदय का ओबीओ मंच पर स्वागत है। इस धमाकेदार प्रवेश पर आपको बधाई!

Comment by Abhinav Arun on May 20, 2013 at 3:31pm

बड़ा गहरा और सशक्त व्यंग्य किया है आपने पर इस अंदाज़ के क्या कहने वाह बहुत दिनों के बाद ऐसी व्यंग्य रचना पढ़ी है हार्दिक बधाई श्री आदित्य जी !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 20, 2013 at 2:37pm

आज मिट्टी खा रहा है
कल गिट्टी खाएगा
परसों न जाने कितने पुल सड़क, बाँध और बड़ी- बड़ी परियोजनाओं
को चट कर जाएगा
राष्ट्र की मुख्य धारा मे शामिल हो जाएगा
सच्‍चे अर्थों मे यही विकास पुरुष कहलाएगा

गिट्टी शब्द का प्रयोग अच्छा लगा.. .

एक सार्थक हास्य रचना केलिए बधाई.. .

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 20, 2013 at 1:49pm

हाहाहा बढ़िया है भाई जी, मुझे यह लड़का तो नहीं लगता. हाहाहा

Comment by राजेश 'मृदु' on May 20, 2013 at 1:27pm

वाह-वाह बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने,सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 19, 2013 at 12:10pm

सच कहता हूँ ये लड़का हाथ से निकल जायेगा

जो मिटते गित्ते निगले, वह हमें क्या छोड़ेगा |  

हां भ्रष्ट भारत में बालक एक और जुड़ जाएगा

हां यह तो सच है ये भी नाम कमाएगा - लक्ष्मण  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अंतिम दो पदों में तुकांंत सुधार के साथ  _____ निवृत सेवा से हुए, अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
3 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
14 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Dec 16

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service