========ग्रीष्म=========
सूर्य गरजता गगन से, गिरा गर्म अंगार
धधके धूं धूं कर धरा, सूखी सरिता धार
मचले मनु मन मार, मगर मिलता क्या पानी
ठूंठ ठूंठ हर ठौर, ग्रीष्म की गज़ब कहानी
उड़ा उड़ा के धूल, लपट लू आंधी चलती
बंजर होते खेत, आह आँखें है भरती
रिक्त हुए अब कूप भी, ताल गए सब हार
सूर्य गरजता गगन से, गिरा गर्म अंगार
पेड़ पौध परजीव , पथिक पक्षी पशु प्यासे
मृग मरीचिका देख, मचल पड़ते मनु प्यासे
वन उपवन सब सून, नहीं अब कोयल कूके
मनु मुख मौन मलीन, ग्रीष्म जब तन-मन फूँके
ज्यों ज्यों दिन चढ़ता विकट, भरता है हुंकार
सूर्य गरजता गगन से, गिरा गर्म अंगार
छोटी होती रात, दिन बड़े लम्बे होते
देख बुरे हालात, धनी निर्धन सब रोते
खंड खंड हर खंड, धरा दिखती है बंजर
सूखे ताल तडाग, भयानक है यह मंजर
वन उपवन सब सूखते, मचता हाहाकार
सूर्य गरजता गगन से, गिरा गर्म अंगार
पानी पीकर दीन, धनी पी कोला ठंडा
बुझा रहे हैं प्यास, फेल पर हर हथकंडा
छतरी थामे नार , दुपट्टा मुख में बाँधी
चले किन्तु मुख लाल, तमाचे जड़ती आंधी
ज्ञान और विज्ञान अब, दिखते हैं लाचार
सूर्य गरजता गगन से, गिरा गर्म अंगार
बहे लगा के धार, पसीना पानी जैसे
क्षण क्षण देता मार, मिटायें गर्मी कैसे
नहिं भाते मिष्ठान, भा रहा पीना पीना
नीकी लगती छाछ, जूस शरबत पोदीना
सावन से आसा लगा , ताक रहे नर-नार
सूर्य गरजता गगन से, गिरा गर्म अंगार
संदीप पटेल “दीप”
Comment
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ. |
आदरणीया कल्पना जी, आप आदरणीय संदीपजी की इसी मंच पर पूर्व प्रकाशित अन्य रचनाएँ भी पढ़े, आपको मनोहारी कथ्यों के अलावा अभिनव शिल्पकारी मिलेगी इसके प्रति आश्वस्त करता हूँ. आपके प्रयोग संयत एवं विशिष्ट होते हैं.
सादर
पहली बार इस तरीके की रचना पढ़ी है। संदीप जी बहुत सुंदर सार्थक और प्यारे गीत के लिए बहुत बहुत बधाई।
बहुत ही सार्थक रचना बन पड़ी है, आदरणीय संदीप जी।
बधाई।
सादर,
विजय निकोर
बहुत सुंदर आलंकारिक रचना, बहुत कम प्रयोग में आता है. आ[प का कार्य सराहनीय है.आपकी मेहनत पूर्णतया सफ़ल है.
सादर
कुंती.
'दोहा-रोला गीत' पी, तृप्त हुई मन-प्यास |
अद्भुत ऋतु सौंदर्य है,अति सुंदर अनुप्रास ||
लेकर हर आयाम,बनाये अनुपम रोले
दोहों में अंगार , सूर्य बरसाये शोले
चिकुटी काटे धूप ,तमाचे जड़ती आँधी
हे पटेल संदीप , पंक्तियाँ सुंदर बाँधी
खस की खुशबू खिल रही,खूब लिखा है खास |
'दोहा-रोला गीत' पी , तृप्त हुई मन-प्यास ||
"बहुत ही सुन्दर ! हार्दिक बधाई , भाई संदीप जी
बहुत ही सुन्दर भाई संदीप जी ///हार्दिक बधाई
कथ्य तथ्य औरशिल्प के लिहाज से समृद्ध रचना के लिए हृदय से बधाई स्वीकारें, आदरणीय संदीपजी.
शिल्पगत अनुप्रास से कथ्य के प्रतीकों और सामयिक दृश्य का सुन्दर वर्णन हुआ है. बहुत-बहुत बधाई
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