!! वो कौन था !!
आये तो कई लोग, ज़िन्दगी मे मेरी मगर ।
वो कौन था जो सीधे, दिल मे समा गया ।।
सब तकते रहे राहे, मेरे आने की मगर ।
वो कौन था जो मुझे, इंतजार करा गया ।।
पाने को झलक मेरी, जमाना लडा मगर ।
वो कौन था जिसकी झलक पे, मै मर गया ॥
चाँद तो आँसमा पे है, सब कहते रहे मगर ।
वो कौन था जो रात, मेरी खिडकी पे आ गया ।।
रखता हू कदम जँमी पर, फूँक फूँक कर मगर ।
वो कौन था जो निगाहो से, मुझे घायल कर गया ।।
बनते है संगेमरमर से, तो बेजान बुत मगर ।
वो कौन था जो कल मेरी, महफिल मे आ गया ।।
आता हू मै ख्वाबों मे, हसीनाओ के मगर ।
वो कौन था जो कल मेरे, ख्वाबों मे आ गया ।।
पीते है सब लोग तो, मयखानो मे मगर ।
वो कौन था जो मुझे, आंखो से पिला गया ।।
है फूल हजारो बाँग मे, तेरे माली मगर ।
वो कौन था जो मेरी, रुह को महका गया ।।
अब तक तो जिया हू मै, तन्हा जिन्दगी मगर ।
वो कौन था जो अब, जीना मुहाल कर गया ।।
सुना है की लुटता है इश्क, देख के हुस्न को मगर ।
वो कौन था जो आंखो से मुझको, लूट के ले गया ।।
अब से पहले भी था मौसम, दीवाना बडा मगर ।
वो कौन था जो बसंत को शायर बना गया ।।
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय हरिश जी रचना आप को पसन्द आई उसके के लिये बहुत बहुत आभार .. धन्यवाद ...
आदरणीया प्राची जी रचना को मान देने के लिये बहुत बहुत आभार .. धन्यवाद ...
वो कौन था जो सीधे दिल में समां गया.......उत्तम
आ0 अमन जी आप से क्या छुपाना जल्द ही खुलासा करेंगे .... रचना आप को पसन्द आई .उसके लिये बहुत बहुत आभार ...शुकिया
आदरणीया गीतिका जी आप क बहुत बहुत आभार रचना आप को पसन्द आई ...
आ0 अरुन जी आप की लालसा को जल्द ही शांत करने की कोशिश करुंगा .......बहुत बहुत धन्यवाद ,
वो था कोन ?
जो बसंत को शायर बना गया |
पाठको को एक कवि दे गया .........
असली बात तो बतायेंगे नही पर बड़ी अच्छी कविता बन पड़ी है ..........
आभार
सही कहा अरुण जी!
बढ़िया प्रश्न,, खूद से ही!!
प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें
आदरणीय बहुत ही सुन्दर प्रयास है, आदरणीय वो कौन या वो कौन थी? ये जानने की लालसा मुझे भी हो चली है पता चले तो बताइयेगा जो इतना कुछ कर गया आपके साथ. बहरहाल प्रस्तुति पर बधाई स्वीकारें.
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