For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अन्तर्मन की लौ अति उज्ज्वल
निश-दिन प्रेम बढ़ाए, प्रकृति अमरता लाए।

गुलमोहर की चुनरी ओढ़ी
पटका अमलतास पीताम्बर
लचकारा लटकाए, झूम-झूम हरषाए।

धानी वाली साड़ी झिल-मिल
घूंघट में आभा छवि पाकर
गाल गुलाल उड़ाए, आंचल किरन सजाए।

सुन्दर सूरत प्यारी मूरत
माथे की बिन्दी चन्द्राकर
घुंघर केश मुख छाए, शबनम भाल थिराए।

अंधड़-लू से कांवरि दौड़े
सांय-सांय शहनाई संजर
डोली जिय धड़काए, मछली मन सकुचाए।

सांवरि सांझ गोधूलि बेला
वर्ण पीत मुख लाल शर्म कर
मन दर्पण सा भाए, देख-देख इतराए।

हिना हाथ की पैर महावर
मिलकर लाल भंवर बन सागर
उथल-पुथल कर ढाए, बड़वानल घबराए।

दुल्हन के शुभ आंसू ढलते
अल्हड़ हवा बहे रज पथ पर
चुनरी उड़-उड़ जाए, पिया मिलन ऋतु आए।

आजा मेंरी प्रियतम प्यारी
गहन तिमिर में आश बंधाकर
धूम-नखत छिप जाए, संशय सोम बुलाए।

रजनी आई तरू में छुप-छुप
पैरों में पायल छम-छम कर
पत्ते राग सुनाए, आंगन नृत्य सुहाए।

तारागण नभ मण्डल की सौं
बादल की बाहों मे बंध कर
चांद झांक शरमाए, लुकछिप खेल खिलाए।

भोर प्रभा की चंचल सिहरन
कलियां तरूणी इठलाती पर
भ्रमर कंज को ध्याए, फूल सदा मुस्काए।

चिडि़यां सरसीं खिल-खिल चहकीं
खग झुंडों के संग फुदक कर
सोहर गीत सुनाए, दाना चुंग उड़ जाए।

मंगल धुन सुन आभा रति मति
बाग बौर अमराई झूम कर
महुआ दिश महकाए, परमानन्द मिलाए।

आवागमन नसावै नित-नित
ज्यों पागल सूरज सिर चढ़कर
तेज धूप छिटकाए, ग्रीष्म उमस उफनाए।

अन्तर्मन की लौ अति उज्ज्वल
निश-दिन प्रेम बढ़ाए, प्रकृति अमरता लाए।


के0पी0सत्यमध् मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 824

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on July 15, 2013 at 10:25pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी सबसे अच्छा रचनाकार वह होता है जो पाठक को अनोखे शब्द प्रयोग और बिम्बों जाल की सैर करा सके। आपने वही किया है।
मुझे आजतक समझ नहीं आया कि आप इतने अनोखे शब्द आखिर चुनकर लाते कहां से हैं? देशज और खड़ी बोली के शब्दों की खिचड़ी ने ऐसा समां बांधा कि इंगितों और बिम्बों का पतीला चूल्हे पर चढ़कर बदबदा गया।
इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!
सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 14, 2013 at 9:24pm

बधाई प्रिय केवल प्रसाद जी पढ़ें........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 14, 2013 at 9:23pm

कोमल शब्दों व भावों ने रीतिकाल में पहुँचा दिया, बधी प्रिय केवल प्रसाद जी................

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 14, 2013 at 4:59pm

प्राकृतिक वातावरण में इस सृष्टि मंडल के सारे क्रिया कलाप को कवि मन ने पहचाना है, अंड विभोर हुआ हुआ है, फिर च

चाहे वह तारा मंडल की आभा हो, कोयल की कुहू कुहू, मोर का नृत्य, अमराई की खुशबु, या प्रेमिका के ढलते आंसू ------

इनको लक्ष्य कर सुन्दर पगी रचना भाव के लिए बधाई श्री केवल प्रसाद जी 

Comment by Vindu Babu on July 14, 2013 at 4:50pm
आदरणीय केवल प्रसाद जी बहुत ही सुन्दर रचना बन पड़ी है।शब्द चयन प्रशंसनीय है।
सादर बधाई स्वीकारें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service