चाँद यहाँ भी ,
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मैं ओ बी ओ परिवार से जुड़े सभी सदस्यों को ,खासकर ओ बी ओ प्रबंधन को , तहे दिल से शुक्र गुजार हू जिन्होंने मुझे अपनी विचारो की अभिव्यक्ति के लिए एक समृध मंच दिया ,
आदरणीय लडिवाला जी , हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
आदरणीय आशुतोष मिश्रा जी ,आपको मेरी कविता अच्छी लगी , बहुत बहुत धन्यवाद
आदरणीया प्राची जी , बहुत बहुत धन्यवाद ,
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद , आपकी लिखी ये पंक्तियाँ लम्बे समय तक प्रेरित करेगी
मनभावन ..क्या लाजबाब कामना की है आपने ..पंख होते तो उड़ जाती मैं /ये पंक्तियाँ बरबस याद आ गयीं ..न कोई सरहद न कोई दीवार ...बस जहाँ में हो प्यार ही प्यार ..ढेरो बधाई स्वीकार करें
ममस्पर्शी अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर , हार्दिक बधाई
आदरणीया शुभ्राजी, आपके सद्विचारों से सुखी हुए.
इसी ज़मीन पर निदा फ़ाज़ली की एक बेजोड़ और बहुत ही प्रसिद्ध ग़ज़ल है, वो अनायास याद आ गयी.
शुभकामनाएँ
आदरणीय अरुण जी अच्छे अभ्युक्ति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
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