For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! हाथ नर मलता गया है !!!

बह्र-----2122  2122

भोर जो महका गया है।
सांझ को उकसा गया है।।

रास्ते का ढीठ पत्थर,
पैर से टकरा गया है।

चोट लगती दर्द होता,
आह पहचाना गया है।

ऐ खुदा अब तो बता दे!
राह क्यों रोका गया है?

जान कर अति दर्द उसका,
आंख जल ढरका गया है।

हाय ये तकदीर खेला,
खेल कर घबरा गया है।

कल यहां यमराज देखो,
काल को धमका गया है।

रात रोती शब हंसे यूं,
मौत बस सहमा गया है।

ऐ मेरे बन्दे समझ ले,
काम मुश्किल आ गया है।

तुम अहम् अब मत गिनाओ,
हाथ नर मलता गया है।

आज फिर ‘सत्यम’ जुबां से,
बात को समझा गया है।

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 12, 2013 at 10:02am

आ0 सौरभ सर जी, सादर प्रणाम!  जी सर, मनातिरेक पर सहजता पाना अतिकठिन है। किन्तु यह समझना भी अतिमहत्वपूर्ण ही है कि सफलता के लिए सहजता लाना अनिवार्य है।  सर जी,  आपके निर्देश सदा ही कुछ बेहतर करने को प्रेरित करते हैं  और मैं सद प्रयासरत हूं।  आपके स्नेह और शुभाशीष हेतु आपका हृदयतल से आभार। सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 9:51pm

आपकी गज़ल के बह्र छोटी है ग़र मेयार वाह वाह ! लेकिन आप इतनी ज़ल्दी में क्यों होते हैं भाई.. . ?

शुभेच्छाएँ

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 8, 2013 at 10:16pm

आ0 अरून निगम सर जी,  सादर प्रणाम!   सर जी आपके स्नेह और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूं।  सर जी,  आपका आशीष पाकर मुझमें एक नई स्फूर्ति आ जाती है। आपका एक बार पुनः शुक्रिया व तहेदिल से आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 8, 2013 at 10:05pm

आ0 राणा सर जी,  सादर प्रणाम!   सर जी आपके स्नेह और गजल के मूलभूत सुझावों के लिए हृदय से आभार प्रकट करता हूं।  आपने दुरूस्त ही फरमाया है।  मैं अवश्य ही इसे सही करूगां। आपका एक बार पुनः शुक्रिया व तहेदिल से आभार।  सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on August 6, 2013 at 11:05pm

प्रिय केवक प्रसाद जी, छोटी बहर की प्यारी-सी गज़ल के लिये बधाइयाँ...

आदरणीय राणा जी की सलाह पर गौर कीजियेगा. किसी भी रचना में व्याकरण-दोष सचमुच ही खटकता है....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 6, 2013 at 9:23pm

आदरणीय केवल जी ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास है ..यह शेर अच्छा हुआ है 

रास्ते का ढीठ पत्थर,
पैर से टकरा गया है।

और इन मिसरों में व्याकरण की त्रुटियाँ हैं ,,,,,फिर से देख लें

भोर जो महका गया है।

आह पहचाना गया है।

राह क्यों रोका गया है?

आंख जल ढरका गया है।

हाय ये तकदीर खेला,
खेल कर घबरा गया है।

मौत बस सहमा गया है।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 6, 2013 at 7:16pm

आ0 श्याम नारायण सर जी, आपके स्नेह और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 6, 2013 at 7:15pm

आ0 मीना पाठक जी, आपके स्नेह और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 6, 2013 at 7:14pm

आ0 विजय सर जी, आपके स्नेह और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 6, 2013 at 7:13pm

आ0 जितेन्द्र भाई जी, आपके स्नेह और सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"जनाब नीलेश 'नूर' जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई, बधाई स्वीकार करें । 'भला राह मुक्ति की…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, सार छंद आधारित सुंदर और चित्रोक्त गीत हेतु हार्दिक बधाई। आयोजन में आपकी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी,छन्नपकैया छंद वस्तुतः सार छंद का ही एक स्वरूप है और इसमे चित्रोक्त…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी, मेरी सारछंद प्रस्तुति आपको सार्थक, उद्देश्यपरक लगी, हृदय से आपका…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा पाण्डे जी, आपको मेरी प्रस्तुति पसन्द आई, आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार। "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, निज जीवन की घटना जोड़ अति सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, सार छंद में छन्न पकैया का प्रयोग बहुत पहले अति लोकप्रिय था और सार छंद की…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service