नये साहब बहुत ही कड़क और अत्यंत नियमपसंद स्वाभाव के थे । कई दिन रेखा देवी की हाजिरी कट गई | फटकार लगी सो अलग ।
उस दिन साहब के चैम्बर से तेज आवाज़ें आ रही थीं । रेखा देवी चीखे जा रही थीं, "ये साहब मेरी इज़्ज़त पर हाथ डाल रहा है.."
सब देख रहे थे, ब्लाउज फटा हुआ था । साहब भी भौचक थे । उनकी साहबगिरी और बोलती दोनो बंद थी |
साहब संयत हुए और बोले, "जाओ रेखा देवी.. जब आना हो कार्यालय आना और जब जाना हो जाना, आज से मैं तुम्हें कुछ नही कहनेवाला । वेतन भी पहले जैसा समय से मिलता रहेगा ।.."
मामला सुलझ गया था । रेखा देवी जीत के भाव के साथ चैम्बर से बाहर निकल रही थीं |
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
waisa bahut ho raha.(purush-charitr)....
par aisa bhi hota hai (triya charitr)
saty ko ughadati sunder laghu katha aadarniy BAGI ji...
//त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम , दैवो न जानाति अहो भाग्यम !"//
त्रिया चरित्रम् पुरुषस्य भाग्यम्, दैवो न जानति कुतो मनुष्यः !.."
सादर
आदरणीय बागी जी , लघु कथा पर विशेष पकड़ दर्शाती एक और लघु कथा ,शीर्षक उपयुक्तऔर सटीक है बहुत बहुत बधाई
ऐसी घटनाएं हमारे आस-पास घटती ही रहती है, उनमें से एक का मैं स्वयं प्रत्यक्ष गवाह भी रहा हूं, कथा कैसी है,किस तरह की है इसपर सुधी पाठकों ने सबकुछ कह ही दिया है । मेरी तरफ से केवल एक अनुरोध है कि क्या शीर्षक कुछ अलग नहीं हो सकता क्यों वर्तमान शीर्षक सार्वभौमिकता को समेटे हुए है जबकि रचना ऐसे कुछ चरित्रों (त्रिया) के आसपास घूमती हैं, सादर
आ0 गनेश सर जी, मेरे कहने का तात्पर्य यह था कि विभिन्न व्यवसायिक संस्थानों में कई स्त्रियां सीधी, सरल प्रकृति तथा अपनी आर्थिक कमजोरी के कारण वे अक्सर बाॅस के जाल में फंस जाया करती हैं। और उनका शोषण नित निरन्तर होता रहता है। लेकिन जब कभी ऐसा चरित्र देखने-सुनने को मिल जाता है, तो वे भौचक्के से सहम जाते हैं। आपकी कथा अपनी जगह सफल है। दोनों पक्षो के दृष्टिकोण क्या हैं? यह महत्ता रखती है। सुन्दर और सटीक प्रस्तुति के लिए एकबार पुनः हृदयतल से बधाई। सादर
//लेकिन ऐसा न हो तो न जाने कितने लोगों को रोजी के साथ ही जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है। //
आदरणीय केवल भाई, मैं उक्त लिखे को नहीं समझ सका ?
आदरणीया विनीता शुक्ला जी, उत्साहवर्धन करती टिप्पणी पर बहुत बहुत आभार प्रेषित है ।
आदरणीया महिमा जी, मैं आपके कहे से सहमत हूँ , कई घटनायें काफी विचलित कर देती हैं, बहुमूल्य टिप्पणी हेतु बहुत बहुत आभार ।
आभार आदरणीया गीतिका जी, यदि हम सजगता से देखें तो इस लघुकथा के पात्र गण हमें आस पास ही दिख जायेंगे, सराहना हेतु बहुत बहुत आभार ।
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