दीवार तग़ाफुल की ये ढाओ तो सही
इक बाँध रिफ़ाकत का बनाओ तो सही
आ पाक मुहब्बत में मिटा दें सरहदें
इस ओर जरा हाथ बढ़ाओ तो सही
हैरान परेशान खड़े हो इस कदर
ऐ- जान जरा बात बताओ तो सही
मैं पार तेरे नाम से कर जाऊं तपिश
सैलाब- ए- अंगार बहाओ तो सही
वीरान निगाहों में तेरी लिख दूँ ग़ज़ल
अशआर गुरेज़त के सुनाओ तो सही
तामीर करूँ ताज़महल तेरे लिए
इक नींव तकारुब की बिछाओ तो सही
मैं राज़ छुपा दिल में ही रख लूँगी सदा
पर्दा –ए- हकीक़त को उठाओ तो सही
**********************************
तगाफ़ुल =उपेक्षा
रिफ़ाकत= दोस्ती.
गुरेज़त= विरक्ति
तकारुब= समीपता
तामीर =निर्माण
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
तामीर करूँ ताज़महल तेरे लिए
इक नींव तकारुब की बिछाओ तो सही
बहुत बढ़िया ग़ज़ल आदरणीया राजेश जी
आदरणीया राजेश कुमारी जी ,
// आ पाक मुहब्बत में मिटा दें सरहदें
इस ओर जरा हाथ बढ़ाओ तो सही//
.....बहुत खूब ,तहे दिल से बधाई
"आदरणीया राजेश ही , मक्ते के शेर में 'पर्दा –ए- हकीक़त' का मानी हुआ ' हकीक़त का पर्दा'. इस लिहाज़ से 'का' का इस्तेमाल दो बार हो गया है. (दूसरे) 'का' को 'को' करने से बात बन जाएगी.…
ऐसा लग रहा है राज़ दीदी आपने वज्न २२ ११२२ २१२२ २१२ लिया है
//मैं राज़ छुपा दिल में ही रख लूँगी सदा
पर्दा –ए- हकीक़त का उठाओ तो सही//
वाह तखल्लुस का खूबसूरती से इस्तेमाल किया है ग़ज़ल भी अच्छी है दाद क़ुबूल करें
वजन क्या है आदरणीया ?
प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी आपको ग़ज़ल पसंद आई उत्साह वर्धन हेतु दिल से शुक्रिया
केवल प्रसाद जी आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से शुक्रिया |
मैं पार तेरे नाम से कर जाऊं तपिश
सैलाब- ए- अंगार बहाओ तो सही//वाह वाह
सुन्दर ग़ज़ल आदरणीया राजेश कुमारी जी //हार्दिक बधाई
आ0 राजेश कुमारी जी, सादर प्रणाम! वाह..वाह..! लाजवाब, बेहतरीन गजल। दिली मुबारकबाद सहित ढेरों दाद कुबूल करें। सादर
आदरणीय गिरिराज जी ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ ,इस उत्साह वर्धन के लिए दिल से आभार आपका |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online