आपका बेटा कहाँ है , हम उसे गिरफ्तार करने आये है .. अचानक पुलिस को देख कर माँ बाप घबरा गए,... मगर हमारे बेटे ने क्या किया है ???? ११ में पढ़ता है बहुत सीधा है .. जी आपके सीधे बेटे ने इक लड़की का रेप किया है .. कुछ ज्यदा ही सीधा है ... इतना कह कर पुलिस उसे अपने साथ ले गयी .. माँ बाप मानने को तैयार ही नहीं थे जरुर वो लड़की ही बदचलन होगी ... उसने ही फँसाया होगा मेरे भोले भाले बेटे को .. चलो जी अभी बेटे को वापस ले के आयेगे .. पुलिस स्टेशन पर उस लड़की के माँ बाप रो रहे थे | तभी लड़की की माँ उन पर चिल्लाने लगी , अपनी बेटी को संभालते मेरे सीधे बेटे पे इलजाम लगा रही है .. वही चरित्रहीन होगी .. तभी लड़की की माँ रोते रोते हुए बोली -हाँ हाँ मेरी ४ साल की बेटी चरित्रहीन हीं थी जो अभी ठीक से बोलना भी नहीं जानती थी .. जिसे माँ बाप के सिवा ओर कोई रिश्ते मालूम नहीं थे .... जो अभी घर से निकली ही थी, ओर अब इस दुनिया से भी चली गयी .. सच में बहनजी आप का बेटा बहुत सीधा है... इतना कह कर वो बेहोश हो गयी .. लड़के के माँ बाप पसीने से तर शर्मिंदा से खड़े कुछ कहने लायक न रहे ........
मौलिक और अप्रकाशित
Comment
सच्चाई से रंगी इस लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।
समाज में परिवर्तन लाना और उसे शीघ्र लाना
हम सभी का दायित्व है, ....मेरा, मेरे पड़ोसी का, हर किसी का।
सादर,
विजय निकोर
सम सामयिक और विचारपूर्ण रचना आदरणीया रोशनी जी,
आदरणीया रोशनी जी, मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि आजकल की रेप की घटनाओं की वास्तविकता से कथानक का तालमेल बिठाना ज़रूरी है. आजकल के रेप में जो हिंसा और राक्षसत्व है वो लडकी और लड़के के अभिभावकों के बीच दर्शाए गए संवाद में व्यक्त नहीं होते; ये किशोर वय में की गई अबोध भूल के लिए ज़्यादा समीचीन लगते हैं. फिर भी, आपके प्रयास के लिए बधाई!
आज की सच्चाई को बयान करती हुई बहुत मर्मस्पर्शी लघुकथा ...हार्दिक बधाई
आपकी रचना यह दर्शाती है कहीं न कहीं वो सब ज़िम्मेदार है जो अपने बच्चों की परवरिश को लेकर गंभीर नहीं रहते या ध्यान नहीं देते //बहुत सही कहा अपने हार्दिक बधाई आपको //सादर
जिस पर भी पाशविक प्रवृत्ति हावी हो जा रही है वो ऐसी घटनाओं को अन्जाम दे रहा है. कोई वय, समय नही. इसीलिये आज
समाज की हर गतिविधियोन मे नतिकता की आवश्यकता है ! सामयिक रचना के लिये साधुवाद !
आज की जलती चुभती सच्चाई को प्रस्तुत करती मर्मस्पर्शी लघुकथा .
sach me Dr.Prachi Singh mam.
waaaaaaaaaaaaaaa!
har ma-bap ko apani santan hamesha hi nirdosh nazar aati hai
satik
jhakjhor gai laghu katha Roshni Dhir mam...
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