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बहुत सशक्त रचना हुयी है|
आपकी रचना महेश अनघ जी का नवगीत 'बटवारा कर दो ठाकुर' की याद दिला गयी|
बढिया प्रयास हुआ है, भाई.
बधाई..
आ० रवि प्रकाश जी
पंक्ति पंक्ति , शब्द शब्द आत्मविश्वास से परिपूर्ण... बहुत सुन्दर कथ्य
प्रवाह भी बहुत सुन्दर... सिर्फ एक बात ..यदि हर बंद में समतुकांतता निर्वाह हुआ होता तो अभिव्यक्ति नवगीत के शिल्प अनुरूप होती.
इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक शुभकामनाएं
वाह वाह आदरणीय रवि जी वाह
सुन्दर प्रवाह से भरी शिल्प में कासी हुई रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें
वाह वाह वाह
आदरणीय रवि प्रकाश भाई बेहद सुन्दर सशक्त प्रवाहमयी रचना बधाई स्वीकारें.
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