"डॉ साहिब, हमें बेटी नहीं चाहिए. आप बहू का एबॉर्शन कर दीजिए."
"ठीक है, आप लोग कल शाम मेरे प्राइवेट क्लिनिक पर आ जाईए".
"कल नहीं डॉ साहिब, हम लोग अगले हफ्ते ही आ पाएंगे"
"अगले हफ्ते क्यों ?"
"क्योंकि अभी नवरात्रे चल रहे हैं "
(मौलिक एवँ अप्रकाशित्)
Comment
एक तरफ कन्याओं को मान सम्मान दिया जाता है कन्या भोज करवाकर और दूसरी और कन्या का जन्म नहीं होना चाहिए , यह मानसिकता जाने कब बदलेगी ? यह कैसी विडम्बना है , कैसा प्रोग्रेस हुआ है अपने देश में आज तक समझ नहीं आया है | बहुत बहुत बधाई आपको इस कथा के लिए भी आदरणीय सर |
एक नग्न सत्य को दर्शाती लघु कथा .....आज जहाँ एक और हमारे इस देश में स्त्री को देवी माँ के रूप में पूजा जाता है और दूसरी ओर वहीँ भ्रूण हत्या कर दी जाती है गर्भ में लड़की है ये पता चलते ही .....ये हमारी विडम्बना ही है .......आपकी लघु कथा पढने के बाद लघु कथा के विषय में बहुत कुछ नया समझने का अवसर मिला है हमें आज .......शुभं
भाई राहुल देव जी, रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार। यदि संवाद शैली में कही गईं लघुकथायों के बारे में आपका भ्रम दूर हुआ, तो यह मेरे लिए बेहद ख़ुशी की बात है. और मेरे भाई गुस्सा मत किया करें, यह सेहत के लिए अच्छा नहीं होता।
देर से एकनॉलेज करने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ आदरणीय सौरभ भाई जी. आपको लघुकथा पसंद आई तो मेरा श्रम सार्थक हुआ. आपकी उत्साहवर्धक टिप्प्णी के लिए ह्रदयतल से आपका आभारी हूँ.
आदरणीय योगराजभाईसाहब, एसी किसी सच्चाई को इस सरलता से कह पाना मात्र शाब्दिक नहीं बल्कि अदम्य भावनात्मक सामर्थ्य की अपेक्षा करता है. और ऐसा वही कर सकता है, जिसने समाज को उसके घिनौने चेहरे के साथ देखा हो और मुँह पर कस कर तमाचे जड़े हों. इस विशेष कथा का आकाश इतना बड़ा है कि समाज की विद्रुपताओं के ऐसे कई-कई विवर (ब्लैकहोल) दिख रहे हैं जिनके कारण मन-मस्तिष्क सन्न हो जा रहा है.
नमन है आपके कथा सामर्थ्य को और इसकी विशिष्टता को.
अद्भुत ! अद्भुत !!
सादर
आपकी सराहना का ह्रदय तल से आभारी हूँ भाई संदीप द्विवेदी जी।
आपके उत्साहवर्धन का दिल से आभारी हूँ आद० अभिनव अरुण भाई जी ।
हार्दिक आभार आद० कपीश चन्द्र श्रीवास्तव जी
हार्दिक आभार आद० मीना पाठक जी ।
सादर आभार आदरणीय रविकर भाई जी।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online