For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - सबकी नज़रों में सुनहरी भोर होनी चाहिए

ग़ज़ल –
2122 2122 2122 212

सबकी नज़रों में सुनहरी भोर होनी चाहिए,
रोज कोशिश रोशनी की ओर होनी चाहिए |

आसमां जा कर पतंगें भूल जाती हैं धरा,
आपके हाथों में उनकी डोर होनी चाहिए |

हो ग़ज़ल ऐसी कि, जैसे लुत्फ़ की परतें खुलें,
शाइरी गन्ने की मीठी पोर होनी चाहिए |

इश्क का जज़्बा इबादत से बड़ा हो जाएगा,
शर्त ये है आशिकी पुरजोर होनी चाहिए |

ज्ञान गीता का भले काम आएगा संग्राम में ,
कृष्ण की नज़रें मगर चितचोर होनी चाहिए |


तोड़ सकता है अदब सौ मुश्किलों के भी कवच,
हर कलम पैनी नुकीली ठोर होनी चाहिए |

कोई पश्चाताप की बातें करे तो देखना ,
आँख में उसकी ढलकती लोर होनी चाहिए |

जबकि आँखें बंद होने को हों मेरे रूबरू,
माँ तेरे आँचल की स्वर्णिम कोर होनी चाहिए |

देखना जब भी तो उसकी सीरतों को देखना,
ये न हो सूरत ही उसकी गोर होनी चाहिए |

 

 

* सर्वथा मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 1096

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 6, 2013 at 10:26pm

वाह वाह वाह आदरणीय मुकम्मल कामयाब ग़ज़ल हरेक शेर सीधे दिल में उतर गया बेहतरीन ग़ज़ल के लिए ढेरों दिली दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by Tilak Raj Kapoor on October 6, 2013 at 8:55pm

बहुत खूबसूरत भाव उठाये हैं आपने। बधाई।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 6, 2013 at 8:28pm

आदरणीय अभिनव सर सादर

इक इक अशआर शानदार है आपकी इस ग़ज़ल का

इस लाजवाब ग़ज़ल के लिए ढेरों दाद क़ुबूल कीजिये आदरणीय

जिन्दाबाद

Comment by MAHIMA SHREE on October 6, 2013 at 6:35pm

हो ग़ज़ल ऐसी कि, जैसे लुत्फ़ की परतें खुलें,
शाइरी गन्ने की मीठी पोर होनी चाहिए ...... वाह वाह  बहुत खूब .

 

.तोड़ सकता है अदब सौ मुश्किलों के भी कवच,
हर कलम पैनी नुकीली ठोर होनी चाहिए |...... ये कही आपने मेरे मतलब की बात :))))

कमाल कमाल शानदार हर शेअर जिंदाबाद है ... हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय अभिनव जी

 

 

 

 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 6, 2013 at 3:44pm

इश्क का जज़्बा इबादत से बड़ा हो जाएगा,
शर्त ये है आशिकी पुरजोर होनी चाहिए |
आदरणीय भाई साहब क्या कहने ! दिल में उतर गया ये शेर 

पूरी ग़ज़ल बहुत ही बढ़िया है 

हार्दिक बधाई 

Comment by Abhinav Arun on October 6, 2013 at 2:25pm

आपका स्नेह हौसला और संबल देता है आ. श्री आशीष सलिल जी ,ह्रदय से आभार आपका !!

Comment by Abhinav Arun on October 6, 2013 at 2:24pm

आदरणीय श्री सारथी जी शेर पसंद आये आपको कहना सफल हुआ आभार इस अनुमोदन के लिए !1

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on October 6, 2013 at 2:23pm

आसमां जा कर पतंगें भूल जाती हैं धरा,
आपके हाथों में उनकी डोर होनी चाहिए |

वाह, क्या बढ़िया ग़ज़ल हुई है आदरणीय अभिनव जी !
बेहद मुश्किल काफिया लिया था और बढ़िया रूप से आपने निर्वहन किया !
हार्दिक बधाइयाँ !!

Comment by Abhinav Arun on October 6, 2013 at 2:19pm

आ. सरिता जी बहुत आभार आपका !

Comment by Saarthi Baidyanath on October 6, 2013 at 2:18pm

ग़ज़ल का मतला कमाल का है साहब ..

कुछ अशआर जिनके लिए दिली दाद हाज़िर है ...


हो ग़ज़ल ऐसी कि, जैसे लुत्फ़ की परतें खुलें,
शाइरी गन्ने की मीठी पोर होनी चाहिए .....आय हाय ...क्या लचक है !..जिंदाबाद 

इश्क का जज़्बा इबादत से बड़ा हो जाएगा,
शर्त ये है आशिकी पुरजोर होनी चाहिए |.....लाजवाब ...उम्दा ! :)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service