For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेटी सुहाती मोहे, जस हो चंदन भाल ।
पाकर बेटी तुझे मै, हो गया हूं निहाल ।।
हो गया हूं निहाल, परी सी पंख लगाऊ ।
शिक्षा व संस्कार दे, सारा गगन घूमाऊ ।
तू करना सब काम, जग में हो मेरा नाम।
दुनिया कहे ऐसा, बेटा बन गया बेटी ।।

.............................................
मौलिक अप्रकाशित

Views: 423

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 1:14am

सुधीजनों की सलाहों और उनके विधानजन्य मंतव्यों पर अवश्य ध्यान दें, भाईजी.

आप छंदों पर काम कररहे हैं यह कम श्लाघनीय नहीं है.

शुभेच्छाएँ.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 11, 2013 at 3:04pm

aadarneey ramesh jee ..mujhe shilp kee jaankaaree nahee hai ..bhav paksh mujhe bahut bhaya ...saadar badhaaayee ke sath 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 9, 2013 at 1:56pm

आदरणीय रमेश भाई , बहुत सुन्दर भाव , लिये कुंडलिया के प्रयास के लिये आपको बधाई !!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 9, 2013 at 1:26pm

आदरणीय रमेश जी आपकी कुण्डलिया ने निराश किया भाई जी आपने पहले भी कुण्डलिया छंद लिखा है और इससे कहीं बेहतर लिखा है इतनी जल्दबाजी क्यूँ भाई इतने सुन्दर भाव हैं किन्तु शिल्पगत त्त्रुटियों ने भाव को खा लिया. कृपया ओबीबो में समूह का अनुसरण करें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 9, 2013 at 10:43am

पंख लगे जब भाव को, छंद ज्ञान हो माथ

ओबीओ में सीख ले, मिलता सबका साथ |----

भाई शुशील जोशी जी की सलाह पर गौर करे  | रचना के भाव के लिए बधाई  

Comment by Sushil.Joshi on October 9, 2013 at 6:40am

भाव बहुत खूबसूरत हैं आदरणीय रमेश जी... लेकिन शिल्प में अनेक त्रुटियाँ हैं.... इसकी प्रथम दोनों पंक्तियों यानि दोहे के विषम चरणों के अंत में दो गुरु ठीक प्रतीत नहीं होते.... इसी प्रकार से इसके रोला भाग में भी दोष हैं... आप कुण्डलिया छंद की जानकारी इसी फोरम के समूह शीर्षक में ले सकते हैं.... बधाई इस रचना के लिए....

Comment by Abhinav Arun on October 9, 2013 at 5:15am

अच्छी रचना सन्देश परक आपकी कलम को नमन है साधुवाद !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service