"प्रकाश आपने मेरी बहन की शादी मे जो अँगूठी गिफ्ट की थी न, वह किसी को पसंद नही आयी, भाभी और माँ ने आपका खूब मज़ाक उड़ाया, वो लोग कह रही थीं कि यह घटिया अँगूठी कहाँ से खरीदी है, एक तो बेहद हल्की है और डिजाइन भी देहाती टाइप, चेहरा लटकाए नीतू एक साथ बोल गयी |
"हूउउउ तो यह बात है, अरे भाई तुम्हे तो पता ही है आजकल पैसे की दिक्कत चल रही है इसलिए अँगूठी खरीदी कहाँ, शादी में तुम्हारी माँ ने जो अँगूठी मुझे दी थी वो नई ही पड़ी थी उसी को साफ करवा कर गिफ्ट कर दिया था |
(मौलिक व अप्रकाशित)
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Comment
नायक के सादगीपूर्ण व्यक्तित्व को खूब उभारा है
हा हा हा .... गज़ब सर
ऐसा नहीं है आदरणीय मेरा कहना है कि "लघु कथा में गिफ्ट से जुड़े भावनात्मक सम्बन्ध,महंगाई की मार और मार्मिक
दर्द की झलक बताने में सफल रही है | इसके लिए हार्दिक बधाई आदरणीय श्री गणेशजी" आपकी लघु कथा पढ़ते समय मुझे
बचपन में जो बाते सुनता था उसका समारंण हो आया, जिसका जिक्र किया था | आपकी कथा तो मार्मिक होने के साथ ही
संदेशात्मक भी है | इसके लिए पुनः हार्दिक बधाई
Gnesh Baghi ji, aap ki laghu katha, "Gift" bahut achhi lagi. man ko chhoo gayee. Bahut dinon ke baad mein yeh shabad likh raha hun. Bahut sateek aur zameen par likhi hai yeh katha. laga ke mere saath hi yeh ghatna ghati hai. Aap ki kalam aise hi chalti rahe, prabhu yeh prarthana hai.
सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीया शशि पुरवा जी ।
//पति की यह बात पत्नी का मूड और बिगाड़ गयी//
//लघु कथा में गिफ्ट से जुड़े भावनात्मक सम्बन्ध,महंगाई की मार और मार्मिक दर्द//
आदरणीय लक्ष्मण लडिवाला जी, आपकी टिप्पणी से स्पष्ट है कि लघुकथा आपके आस पास भी नहीं पहुँच सकी है जिसके लिए क्षमा प्रार्थी हूँ , शायद यह लेखन की कमी है ।
आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपकी टिप्पणी सदैव आत्मबल प्रदान करती है, सादर आभार ।
आदरणीय सौरभ भईया जी, आपकी टिप्पणी इस लघुकथा की सार्थकता है, बहुत बहुत आभार आदरणीय ।
तोहफा लेते हुए ही सारी डिजाइन, वज़न आदि की बातें मन में आयीं... देते हुए इस बारे में सोचा भी न गया
तोहफों के लेन देन की परिपाटी का खोखला सतही स्वरुप और रिश्तों में व्याप्त घटिया मानसिकता को दर्शाती संदेशपरक सार्थक लघुकथा
हार्दिक बधाई आ० गणेश जी
बहुत बहुत आभार आदरणीय जवाहर भाई साहब, आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है ।
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