१-सुकून
सुनों
आज के बाद तंग नहीं करूँगा
चला जाऊँगा
बस एक बार क्षण-भर
आओ बैठो मेरे पास
तुम्हारे आने से
जिंदा हो उठता हूँ
२-अकेला
दुख के सन्नाटे से
लड़ रहा हूँ
तभी तो
आज फिर अकेला हूँ
३-मंत्री भूखानंदजी
करोड़ों का माल गटक गए
सुना है आज फिर
भूख हड़ताल पे बैठे है
४-साथ
मै तो ग़मों का रेगिस्तान था
वो तो तुम्हारे आने से सादाब हो गया
५-पता है क्या?
ज़रा सुनो
मौत के सौदागरों
शायद भूल गए
आखिरी युद्ध
लड़ना पड़ेगा
वो भी अकेले
मौत के साथ
6-कसम
कसम खा रखी थी नहीं हँसना है
जब तक वो नहीं मिल जाते
आज फिर वो नहीं मिले
लगता है मैं फिर
सपने में हँस दिया था
७-आलसी
अतीत अच्छा था
बस भविष्य भी अच्छा हो जाए
लेकिन वर्तमान में
कुछ करना नहीं है
८-ज्वालामुखी
मैं खो चुका हूँ अपना संतुलन
दिल में उफनता ज्वालामुखी
कहीं फट ना जाय
आओ मुझसे लिपट जाऒ
९- ऐसा भी
मुझे खुद की खबर नहीं है
वो कहते है
आप मेरी खबर नहीं लेते
१०-दर्द
न दिखने वाले दर्द से दब गया हूँ
इसलिए रो रहा हूँ की
थोड़ा हलका हो जाऊ
११-रंग
गोरा रंग तो ठीक है
लेकिन काली सोच का
क्या किया जाय
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राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
बहुत ही खूबसूरत क्षणिकाएं आदरणीय पाठक जी
बहुत बहुत शुभकानाएँ
सुंदर भावों से युक्त सभी क्षणिकाएं , बहुत बधाई आपको आ0 रंशिरोमणि पाठक जी , बधाई आपको ।
bahut bahut aabhar adarneey sushil joshi ji...saadar
bahut bahut aabhar bhai devendra ji
बहुत ही सुंदर क्षणिकाएँ बनी हैं आ0 राम भाई...... वाह.... बहुत बहुत बधाई....
इस क्षणिका के लिए विशेष बधाई...
ज़रा सुनो
मौत के सौदागरों
शायद भूल गए
आखिरी युद्ध
लड़ना पड़ेगा
वो भी अकेले
मौत के साथ............... क्या खूब संदेशपरक अभिव्यक्ति है....... वाह....वाह...
क्षणिकाएं अच्छी लगी आपको तो मेरा लिखना सफल हुआ //बहुत बहुत आभार आदरणीय विजय मिश्रा जी ///सादर
बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ///सादर
आदरणीय राम शिरोमणी भाई , अलग अलग रंगो मे रंगे आपके सभी क्षणिकाओं के लिये आपको बधाई !!!!!
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