दीप पावन तुम जलाओ, अंधियारा जो हरे ।
पावन स्नेह ज्योति सबके, हृदय निज दुलार भरे ।
वचन कर्म से पवित्र हो, जीवन पथ नित्य बढ़े ।
लीन हो ध्येय पथ पर, नित्य नव गाथा गढ़े ।
कीजिये कुछ परहित काज, दीन हीन हर्षित हो ।
अश्रु न हो नयन किसी के, दुख दरिद्र ना अब हो ।
सीख दीपक से हम लेवें, हम सभी कैसे जियें ।
मन सभी निर्मल रहे अब, हर्ष अंतर्मन किये ।
शुभ करे लिये शुभ विचार, मानव का मान करे ।
भटक ना जाये मन राह, अधर्म कोई न करे ।
कायम हो शांति जगत में, विश्व बंधुत्व अब हो ।
मनुज मन उमंग जगावे, मंगल हर जीवन हो ।
नाना खुशी बरसावे, जगमग करते दीप ।
दीप पर्व की कामना, हर्षित हो मन मीत ।।
....................................
मौलिक अप्रकाशित
Comment
सुंदर प्रस्तुति है राम भाई जी.... बधाई हो........ लेकिन आ0 बृजेश जी से पूर्णत: सहमत हूँ मैं भी.... गीतिका का तात्पर्य बताने का कष्ट करें.....
एक अच्छी रचना पर हार्दिक बधाई भाई रमेश कुमार चौहान जी ... !
बहुत अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!
भाई जी, आपने 'गीतिका' लिखा है, मैं इसका मतलब नहीं समझ सका. क्या ये रचना गीतिका छंद में है?
यदि छंद है तो गीतिका छंद का शिल्प होता है- २१२२, २१२२, २१२२, २१२
आपकी रचना इसे तुष्ट नहीं कर रही है. कहीं कहीं चूक हो गयी है. कृपया देख लें!
यदि ये छंद नहीं है तो 'गीतिका' क्या है, इस पर प्रकाश डालें!
सादर!
आदरणीय भाई जी बहुत ही नेक विचार हैं बहुत ही सुन्दर मनोकामना की है है आपने बहुत बहुत बधाई
दीपावाली की हार्दिक शुभकामनाए श्री रमेश चौहान जी
आपको सुंदर कामनाओं की रचना पर हार्दिक बधाई व् दीपावली की मंगल शुभकामनायें
सुन्दर कामनाएं ...हार्दिक बधाई और साधुवाद आदरणीय !!
आपको भी दीवाली की शुभकामना के साथ गीतिका की बधाई।
शुभ करे लिये शुभ विचार, मानव का मान करे ।
भटक ना जाये मन राह, अधर्म कोई न करे ।
कायम हो शांति जगत में, विश्व बंधुत्व अब हो ।
मनुज मन उमंग जगावे, मंगल हर जीवन हो ।...........इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है.
शुभकामनाएँ
!!!!!!!!!!!!!!! लाजवाब !!!!!!!!!!!!! , आपको भी दीपावली की हार्दिक शुभ कामनायें !!!!!!!!!
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