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दीवाली के दोहरे

होती है हर एक को, रिद्धि सिद्धि की चाह।

दीप पर्व दिखला रहा, अंतर मन को राह।१।

 

उनका जीवन पथ चुनें, करें आत्म उत्थान।

जिनके जीवन में मिला, यश कीरत सन्मान।२।

 

दीपक बाती ज्योति की, सुख समृद्धि का ठांव।

दीप तीर्थ है ज्योति का, आशीषों का गांव ।३।

 

हमें सदा तत्पर रखे, सत्कर्मो के संग।

दीवाली का दीप हर, मन में भरे उमंग।४।

 

मिला जिसे हर पर्व पे, रानी जैसा मान।

पटरानी सी राजती, दीवाली दिल जान।५।

 

             -सत्यनारायण सिंह

              मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 5, 2013 at 10:00am

बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे | ढेरों बधाइयां श्री सत्यनारायण सिंह जी | प्रकाश की किरने आपके जीवन को प्रकाशित करती रहे 

Comment by Abhinav Arun on November 5, 2013 at 4:55am

सुन्दर सकारात्मक संदेशपरक दोहे ! साधुवाद और शुभकामनायें आ. सत्यनारायण जी .

Comment by रविकर on November 4, 2013 at 6:23pm

बढ़िया प्रस्तुति-
दीप पर्व की शुभकामनायें आदरणीय-

Comment by ram shiromani pathak on November 4, 2013 at 3:32pm

आदरणीय सत्य नारायण भाई ,सुन्दर दोहरों के लिये आपको बहुत  बहुत बधाई   !!

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 4, 2013 at 1:53pm

सुंदर दोहरे  और दीवाली की बधाई ।

Comment by coontee mukerji on November 4, 2013 at 1:42pm

बहुत सुंदर रचना.

शुभ शुभ.

सादर

कुंती.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 4, 2013 at 8:13am

आदरणीय सत्य नारायण भाई , सुन्दर दोहरों के लिये आपको ढेरों बधाई !!!! दीपावली की आपको भी शुभ कामनायें !!!!

Comment by रमेश कुमार चौहान on November 3, 2013 at 10:54pm

दीपपर्व पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं पर्व विशेष पर प्रस्तुत दोहे के लिये बधाई

कृपया ध्यान दे...

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