For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अभी पूर्णविराम नहीं!!!(अतुकांत )

नीरवता , सन्नाटा

शून्यता बस यही तो बचा था

जैसे अंतर के स्वर को

लील चूका हो बाह्य कोलाहल

रिक्त अंतर घट

कोई प्यास भी नहीं बाकी  

सुप्त प्राय आत्मा

एकदम शांत

 उस जर्जर दरख़्त की

ठूँठ की तरह

जो मौन हो गया ये सोचकर

कि कोई नव कोंपल

अब कभी नहीं फूटेगी

आँखे मूँद कर लेट जाती हूँ

लहरें उछलकर भिगो देती हैं

शायद वार्तालाप करना चाहती हैं

वाचाल जो ठहरी

ये मसखरी भली नहीं लगती

किश्ती हिलती है ,आँखें खोलती हूँ

क्रुद्ध हो घूरने लगती हूँ लहरों को

यकायक नजरें टिक जाती हैं उस पीले पत्ते पर

जो अनवरत बहता जा रहा है

हिचकौले खाता  हुआ

उस पर बैठा हुआ एक कीट  

अपना जीवन बचने के लिए

संघर्ष करता जा रहा है

प्रकृति का ईशारा समझ

खोल लेती हूँ डायरी का नया पन्ना

और कलम दो उँगलियों की गर्माहट से पुनः

पिघलने लगती है

लहरें मुस्कुरा कर कहती हैं

अभी पूर्णविराम नहीं!!!  

***************

(मौलिक एवं अप्रकाशित)   

Views: 665

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2013 at 9:45am

आदरणीय रविकर भाई जी आपका हार्दिक आभार ..

Comment by रविकर on November 7, 2013 at 7:11pm

प्रोत्साहित करती प्रस्तुति-
आभार दीदी -


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 7, 2013 at 3:35pm

yes respected Gopal Narain ji thats right ,a little attention on even a small life,who struggling for its existence teach us a lesson that we  should never give up ...jab tak saans hai tab tak aas hai ...thanks a lot.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 7, 2013 at 3:20pm

  A little attention seems inevitable  on   Keet ke purnviram  par .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 7, 2013 at 3:13pm

आदरणीय गिरिराज जी आपकी सराहना पाकर ये रचना सार्थक हुई ,हृदय से आभारी हूँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 7, 2013 at 2:59pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , आशा जगाती आपकी इस रचना के लिये आपको ढेरों बधाई !!!!!

और कलम दो उँगलियों की गर्माहट से पुनः

पिघलने लगती है

लहरें मुस्कुरा कर कहती हैं

अभी पूर्णविराम नहीं!!!  --------------- इन  पंक्तियों के लिये आपको विशेष बधाई !!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 7, 2013 at 10:41am

हार्दिक आभार प्रिय राम पाठक आपको रचना पसंद आई. 

Comment by ram shiromani pathak on November 7, 2013 at 9:49am

जो अनवरत बहता जा रहा है

हिचकौले खाता  हुआ

उस पर बैठा हुआ एक कीट  

अपना जीवन बचने के लिए

संघर्ष करता जा रहा है

प्रकृति का ईशारा समझ

खोल लेती हूँ डायरी का नया पन्ना

और कलम दो उँगलियों की गर्माहट से पुनः

पिघलने लगती है

लहरें मुस्कुरा कर कहती हैं

अभी पूर्णविराम नहीं!!!  

वाह आदरणीया राजेश कुमारी जी क्या चित्र खीचा है अपने। बहुत ही सुन्दर

बहुत बहुत बधाई आपको ।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service