For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-निलेश 'नूर'- चाँद सूरज और सितारे आ गए

२१२२, २१२२, २१२  
चाँद सूरज और सितारे आ गए,
ख्व़ाब में क्या क्या नज़ारे आ गए.    
.

ख़ूब मौका डूबने का था मिला,
और हम फिर भी किनारे आ गए. 
.

जब नज़र की बात नज़रों नें सुनी,  
दरमियाँ क्या कुछ इशारे आ गए.
.

है समाई धडकनों में धडकनें,  
पास वो इतने हमारे आ गए.
.

जब मिला ग़म या ख़ुशी कोई मिली,
आँखों में दो अश्क़ खारे आ गए.   
.
मौलिक व अप्रकाशित 
निलेश 'नूर'

Views: 775

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 12, 2013 at 4:46pm

जब मिला ग़म या ख़ुशी कोई मिली,
आँखों में दो अश्क़ खारे आ गए.   
.बिलकुल सही कहा है आपने....आपको इस रचना के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 12, 2013 at 8:25am

सभी मित्रो का हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 12, 2013 at 7:00am

आ0 नीलेश भाई , लाजवाब गज़ल के लिये आपको ढेरों दाद !!!!

Comment by annapurna bajpai on November 11, 2013 at 10:56pm

आ0 नूर जी बहुत ही खूबसूरत गजल बधाई आपको । 

Comment by Saarthi Baidyanath on November 11, 2013 at 10:55pm

ख़ूब मौका डूबने का था मिला,
और हम फिर भी किनारे आ गए. ..

है समाई धडकनों में धडकनें,  
पास वो इतने हमारे आ गए.... क्या कहने हुजुर ...वाह जी वाह , मजा आ गया !..मुबारक हो बेहतरीन अशआर के लिए :)

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 11, 2013 at 10:19pm

नूरजी   बस आप से मैं क्या कहूं 

कुछ हशी अशआर प्यारे आ गए


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 11, 2013 at 9:01pm

ख़ूब मौका डूबने का था मिला,
और हम फिर भी किनारे आ गए. ....बहुत सुन्दर शेर 

सुन्दर ग़ज़ल हुई है आ० नीलेश जी 

हार्दिक बधाई 

Comment by umesh katara on November 11, 2013 at 6:46pm

खूब मौका डूबने का था मिला
और हम फिर भी किनारे आ गये,,,,,,,,,,वाह वाह खूब 
अच्छी गजल कही है निलेश नूर जी बधायी

Comment by मोहन बेगोवाल on November 11, 2013 at 6:05pm

 निलेश जी ,गज़ल  बहुत उम्दा है, बधाई हो 

Comment by ram shiromani pathak on November 11, 2013 at 5:55pm

चाँद सूरज और सितारे आ गए,
ख्व़ाब में क्या क्या नज़ारे आ गए.    
.

ख़ूब मौका डूबने का था मिला,
और हम फिर भी किनारे आ गए. /////////वाह बहुत खूब 

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल  आदरणीय  ....बहुत बहुत बधाई आपको सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
2 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
6 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service