For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल: मैं अभागा किस कदर बादल रहा/शकील जमशेदपुरी

बह्र: 2122/2122/212

_______________________________

दीप मेरा दुनिया को है खल रहा
जब से ये बादे मुखालिफ जल रहा

फिर वही बेचैनियां और मन उदास
ख्वाब किसका दिल में फिर से पल रहा

चांद को अब सौंप कर सब रोशनी
प्यार का सूरज मेरा है ढल रहा

घुट रहा था दिल ही दिल, बरसा नहीं
मैं अभागा किस कदर बादल रहा

इस सफर में होगी बेशक रोशनी
थाम कर पलकें तेरी मैं चल रहा

आग उनके दिल की अब तो बुझ चुकी
दिल हमारा अब तलक है जल रहा

क्यों न हो मस्ती के मस्ताने हजार
मैं तुम्हारी आंख का काजल रहा

मुश्किलों में इसलिए हंसता 'शकील'
सिर पे मां का हर घड़ी आंचल रहा

- शकील जमशेदपुरी

_________________________________

*मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 13, 2013 at 7:05pm

आ0 शकील भाईजी,  

//मुश्किलों में इसलिए हंसता 'शकील'

सिर पे मां का हर घड़ी आंचल रहा  //----------वाह! वाह!..... बहुत खूब। बेहतरीन गजल।  ढेंरों दाद कबूल करें।  सादर,

Comment by umesh katara on November 13, 2013 at 6:14pm

शानदार गजल कही है आपने शकील साहब वाह्ह्ह्ह्


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 13, 2013 at 5:30pm

आदरणीय शकील भाई , शानदार , जानदार गज़ल के लिये आपको ढेरों बधाई !!!!!

 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on November 13, 2013 at 4:13pm
सफल गजल
हार्दिक बधाईयाँ।
Comment by शकील समर on November 13, 2013 at 1:46pm

आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी
 
वैसे तो 'और' को 21 लिया जाता है। पर जरूरत के हिसाब से इसे गिराकर 'औ' भी पढ़ा जाता है और इसकी मात्रा 2 ली जाती है। सादर।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 13, 2013 at 1:03pm

फिर वही बेचैनियां और मन उदास
ख्वाब किसका दिल में फिर से पल रहा

चांद को अब सौंप कर सब रोशनी
प्यार का सूरज मेरा है ढल रहा..आदरणीय शकील जी इस बेहतरी ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाई ..

जिज्ञासा वश यह जानना चाहता हूँ उदास का स तो बहर में नहीं शामिल होता पर क्या और का र भी बहर में शामिल नहीं होगा ..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 13, 2013 at 11:58am

आप का दीप अनवरत जले

दुनिया को चाहे कितना भी खले

माँ की आँचल का साया मयस्सर है

हँसते रहिये आपको क्या डर  है         ग़ज़ल काबिले गौर है  क्या खूव्ब कहा है   मुबारक हो

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सटीक  स्पष्ट सार्थक  स्वीकार्य यही भाषा विज्ञान सम्मत भी है जिसे ओबीओ जैसा मंच तरजीह…"
2 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मिसरा-ए-उला के आखीर में एक एक्स्ट्रा लाम का होना इस मंच पर लगातार बने सदस्य जानते…"
9 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वो तो है ही, इसी शेर में एक अतिरिक्त बिन्दु भी मिल गया तो लगा कि इस पर भी बात हो जाये। व्यवहारिक…"
22 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय, मेरा इंगित उला के नहीं, शहर के विन्यास को लेकर है। "
56 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है।…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ज़हीर साहब के संदर्भित शेर मैंने ने देखा है कि गांवों से शहर आने के बाद लोग अपनी सोच का विस्तार भी…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आभार आ. गुरप्रीत जी.आपकी ग़ज़ल से वंचित रह जाने का मलाल है "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//हालांकि ग़लती का वज्न ११२ है, मगर कहन के लिए वाह // गलती का विन्यास अरुज के लिहाज से २२ ही…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। गजल पर हुई चर्चा से बहुत कुछ सीखने को…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गजेन्द्र श्रोत्रीय जी, आपकी गजल के शेर कमाल कर रहे हैं. आयोजन के लिए कम समय मिलता है इस लिए…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मुशायरे मे सहभागिता पर बधाई आ0 गिरिराज जी। सभी गुणीजन ग़ज़ल पर लगभग सब कुछ कह चुके हैं। आप सबकी राय…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service