For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - अक्षरों में खुदा दिखाई दे !

ग़ज़ल –

२१२२ १२१२ २२

अक्षरों में खुदा दिखाई दे

अब मुझे ऐसी रोशनाई दे |

 

हाथ खोलूं तो बस दुआ मांगूँ,

सिर्फ इतनी मुझे कमाई दे |

 

रोशनी हर चिराग में भर दूं ,

कोई ऐसी दियासलाई दे |

 

माँ के हाथों का स्वाद हो जिसमें,

ले ले सबकुछ वही मिठाई दे |

 

धूप तो शहर वाली दे दी है,

गाँव वाली बरफ मलाई दे |

 

बेटियों को दे खूब आज़ादी ,

साथ थोड़ी उन्हें हयाई दे |

 

तल्ख़ लहजा तमाम लोगों को,

मीर दे मीर की रुबाई दे |

 

दर्द होरी सा दे रहा है तो,

साथ धनिया सी एक लुगाई दे |

 

घूस के सौ दहेज़ से बेहतर,

अपने हाथों बनी चटाई दे |

       *सर्वथा मौलिक - अप्रकाशित .

       (c)&(p)  - अभिनव अरुण .

      

Views: 1060

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on November 16, 2013 at 7:59am

चाह मुझको नहीं मिलन की है ,

इश्क़ में तू मुझे जुदाई दे ...

आदमी आदमी रहे बनकर ,

एक ऐसी मुझे खुदाई दे ..

...........क्या कहने डॉ अनुराग जी बहुत शुक्रिया ! 

Comment by Abhinav Arun on November 16, 2013 at 7:52am

आभार आभार आभार श्री CHANDRA SHEKHAR PANDEY  जी 

Comment by Abhinav Arun on November 16, 2013 at 7:52am

आ.श्री अखिलेश जी शुक्रिया ग़ज़ल आपका अनुमोदन प्राप्त कर धन्य हुई !

Comment by Abhinav Arun on November 16, 2013 at 7:51am

डॉ गोपाल जी आपकी प्रतिक्रिया ...मुझे दायित्व का आभास दिलाती है ...आभार और अभिवादन आपका !

Comment by Saarthi Baidyanath on November 15, 2013 at 10:18pm

बहुत सुन्दर और प्यारी ग़ज़ल ...ये मेरे पसंद का शेर 

हाथ खोलूं तो बस दुआ मांगूँ,

सिर्फ इतनी मुझे कमाई दे |.....लाजवाब अरुण साहब :)

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 15, 2013 at 10:06pm

बहुत साड़ी जायज मांग की है ,

दूर रख मुझे किसी बेवफा के मिलन से 

मुझे प्यार न दे सिर्फ जुदाई दे 

बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने 

बधाई स्वीकार करे दिल से 

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on November 15, 2013 at 8:18pm
वाह वाह और वाह
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 15, 2013 at 6:22pm

बेटियों को दे खूब आज़ादी ,

साथ थोड़ी उन्हें हयाई दे |    सुंदर भाव और कहीं सटीक कटाक्ष , बधाई अभिनव अरुण भाई पूरी गज़ल के लिए ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 15, 2013 at 11:15am

अरुण जी

होरी का दर्द सामंतकालीन  भारतीय किसान का दर्द है   i  उसने जीवन भर संघर्षो  का जिस जीवटता से लोहा लिया वह उसे कर्मवीर नायक बनाता है  i  इसीलिये एपिक गोदान का अंगी रस विद्वानों ने  वीर माना  है  i होरी का दर्द  पीडा  का मूर्तिमंत स्वरुप है उसका उदहारण देकर आप मुझे नास्टेल्जिया में ले गए  i  धन्यवाद i

Comment by Abhinav Arun on November 15, 2013 at 9:48am

आ. गीतिका जी ग़ज़ल पसंद आई आपको मेरा सृजन सार्थक हुआ , आभार आदरणीया !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service