(मौलिक व अप्रकाशित)
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Comment
प्रिय शुभ्रांशु भाई, आप तो न्यायिक प्रक्रिया को नित्य दिन ही देखा करते हैं आपसे क्या छुपा है ! बहुत बहुत आभार ।
बहुत बहुत आभार आदरणीय सत्यनाराण सिंह जी ।
आदरणीय डॉ अनुराग सैनी जी, आपकी प्रतिक्रिया उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार ।
आपका बहुत आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी, आपकी उत्साहवर्धन करती टिप्प्णी नवलेखन में सहायक होती है ।
बडे शहरों की हवा बिगड़ी हुई है और वर्तमान कानून भी एक पक्षीय हो गया है । यही हाल रहा तो कुछ बरस में लाखों पुरुष विशेषकर युवा जेल में चक्की पीसते नज़र आयेंगे ॥ लघु कथा की हार्दिक बधाई गणेश भाई ॥
ये लघु-कथा, दो चरित्रों के अन्तः चरित्र को रेखांकित करने में सफल रही है ...मुझे सार्थक लगी ..बहुत बढ़िया बागी साहब ...:)
हा हा हा .. बहुत जबरदस्त कटाक्ष करती हुई लघु कथा .. बलात्कार का एक पहलु यह भी है ..
कोई कथा अथवा लघुकथा मुख्यतः उसके कथानक, पात्रों के चरित्र-चित्रण, निहित वातावरण के वर्णन, इसके पात्रों के पारस्परिक कथोपकथन, उनकी प्रयुक्त भाषा एवं कथ्य शैली तथा कथा या लघुकथा के उद्येश्य जैसे छः विन्दुओं की कसौटी पर मान्यता पाती है. मैं इन्हीं विन्दुओं के सापेक्ष किसी कथा या लघुकथा को आँकता हूँ.
गणेश भाई आपकी प्रस्तुत लघुकथा इन सभी विन्दुओं पर पूरी कसावट में है.
प्रस्तुत कथा का कथानक अलोप सा प्रतीत अवश्य होता है किन्तु इसके अति मुखर वातावरण के कारण वह इतनी सान्द्रता से अभिव्यक्ति पाता है कि पाठक मन में मानों चलचित्र सा घूम जाता है. साथ ही साथ, जिस बेलौस मग़र चलताऊ ढंग को बखूबी उभारा गया है वह कथा के उद्येश्य को सार्थकता से पाठकों के सामने परोस देता है.
मैं लघुकथा की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए आपको इस प्रस्तुति के लिए बारम्बार बधाई दे रहा हूँ. शुभेच्छाएँ
बड़ी मुश्किल हो रही है | पुलिस में भी हर कोई आसानी से ऍफ़ आई आर दर्ज कराने जाते हुए डरता है टो दूसरी और
बदले की भावना भी एक समस्या बनी हुई है | वर्मान व्यवस्था पर करारा व्यंग किया है | हार्दिक बधाई
आदरणीय गणॆश भैया,
IPC 376 के हो रहे 'उपयोग' पर एक करारा व्यंग.....
बधाई.
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