For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बताओ तो, कि कैसा लगता है ... 

किसी अंजान जगह पर 

किसी अंजान सफर पर 

किसी अंजान का साथ 

खुशी के वो अंजान पल 

साथ गुज़ारना, साथ चलना 

वो एहसास, वो पल 

बताओ तो, कि कैसा लगता है .... 

और फिर अचानक ... 

एक दिन 

किसी अंजान का बिछड़ जाना 

किसी अंजान बातों पर 

किसी अंजान कारणो पर 

फिर लौट कर न आना 

सिर्फ इंतज़ार रह जाना 

किसी से कुछ न कह पाना 

सिर्फ और सिर्फ यादें रह जाना 

बताओ तो, कि कैसा लगता है ..... 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 1, 2013 at 7:05pm

आदरणीय आमोद जी, आपकी इस रचना के भोलेपन ने ही मोह लिया.

अच्छा लगा.. . :-))

शुभेच्छाएँ

Comment by vijay nikore on November 27, 2013 at 6:34am

सुन्दर भावाभिव्यक्ति । बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 26, 2013 at 5:53pm

......एक सपने के पूरे होने जैसा !!!!!!!!!

..और सबसे प्रिय सपने के टूट कर बिखर जाने जैसा !!!!!!!!!!!!!

ऐसे एहसासों को संजोती इस प्रस्तुति पर बधाई 

वैसे सम्प्रेषण को कुछ और साधा जा सकता था..... पर शायद सहजता ही इसकी ख़ूबसूरती भी है...:)))

हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by Amod Kumar Srivastava on November 22, 2013 at 6:53pm

आ0 आयुब खान जी, आ0 आशुतोष जी, आ0 वेदिका जी और आ0 मीना पाठक जी .... आप सभी का धन्यवाद ... अपना आशीर्वचन बनाए रखें ... 

Comment by Meena Pathak on November 22, 2013 at 6:40pm

क्या बात है !! बहुत सुन्दर रचना , बधाई स्वीकारें 

Comment by वेदिका on November 22, 2013 at 6:29pm

कहते हैं विरह मे भी सुख है, सुखदायी स्मृतियाँ साथ हों तो जीवन सुखद हो जाता है! 

यादों से भरी गुनगुनी रचना पर बधाई !!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 22, 2013 at 1:55pm

महसूस की जाने वाली बात ..बेहतरीन ..सादर बधाई के साथ 

Comment by Ayub Khan "BismiL" on November 21, 2013 at 10:14pm

bahut Achcha Janaab 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service