For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'क्या सोचा?'

'अभी कुछ नहीं सोचा I '

'वैसे तुम बेकार घबरा रही हो  i'

'मै घबरा नहीं रही '

'फिर-----?'

'सोचती हूँ यह कोई विकल्प नहीं है I '

'क्यों ------?'

'कल यही स्थिति फिर आएगी I '

'तब की तब देखा जायेगा I '

'तो अभी क्यों न देख ले ?'

'तुम समझी नहीं --'

'क्या---?'

'अभी हमें इसमें फंसने की क्या जरूरत है ?'

'क्यों ----?'

'ये दिन मौज करने के है, ऐश करने के है I '

'और-----बहारो  के मजे लूटने के है ---- है न ?'

'बिलकुल'

'नहीं अब नहीं  I  यह हमारी जिम्मेदारी है I '

'बेवकूफ हो तुम '

'मै बेवकूफ सही पर तुम तो समझदार हो I '

'तभी तो कह रहा हूँ I '

'गलत कह रहे हो, अब हमें शादी कर लेनी चाहिए I '

फिर वही, अच्छा चलो पहले यह करा लो  फिर शादी भी हो जायेगी  I '

'नहीं अब पहले शादी ---'

'भाड़ में जाओ I '

'जानती थी तुम यही कहोगे I '

'मै यह  कहना नहीं चाहता था I '

'तो क्यों कहा ?'

'तुम्हारी जिद पर '

'जिद नहीं , माँ की ममता है , तुम क्या जानो --?'

' हुंह -------- ममता दकियानूसी बाते '

'यह  तुम्हारी समझ है I '

' क्या मै गलत हूँ ------?'

'बिलकुल'

'तो फिर  तुम अपनी सही राह पर चलो I'

'और तुम------?'

'मै अपनी राह पर------ I ' 

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 532

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 28, 2013 at 8:09pm

अच्छा संवाद रचा है आपने आदरणीय

सादर बधाई हो इस रचना के लिए जिसमें निहित सन्देश एक दिशा दे रहा है आधुनिकीकरण को

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 28, 2013 at 6:56am

बहुत सुंदर संदेश देती रचना , बधाई स्वीकारें आदरणीय डा. गोपाल जी

Comment by विजय मिश्र on November 27, 2013 at 5:07pm
क्या वार्तालाप है , ऐसे रिश्तों में तो यही होता है , यूज एंड थ्रो - का जमाना जरा देर से आया है ,उलटी हवाओं को दूर से बहकर आना पड़ा है ,पश्चिम की समाजिक संरचना को तो पताल धँसा चूका है
ये है काम-काजी और ऊल-जुलूल जीने वालों का संसार . जहाँ माँ-बाप आउट डेटेड डिक्लेयर्ड कर दिए गए हैं |थोड़ी सी उन्मुक्ति में जीवन गर्त |बहुत कठोर आघात है यह कविता इस कुकर्मी जीवन पर जिसे अधुनातन कहते हैं |आभार मित्रवर |
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 27, 2013 at 1:13pm

उच्च घरानों , महानगरों में अब आये दिन यही सब मिलेगा ।, ताज्जुब है पढ़ी लिखी और हाई सोसायटी की लड़कियाँ भी नहीं समझ पा रहीं हैं कि हर बात में पुरुषों से होड़ की चक्कर में नुकसान उन्हीं का होना है। लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता मिल जाने से भारतीय परम्परा , आदर्श सब कुछ तहस नहस हो रहा है और समाज मूक दर्शक बना है। आगे- आगे देखिए होता है क्या ? इस रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय गोपाल भाई॥ 

Comment by नादिर ख़ान on November 26, 2013 at 10:06pm

बेहतरीन संवाद, आदरणीय गोपाल नारायण जी ।

वर्तमान समय में सही राह दिखाता ..... 

Comment by बृजेश नीरज on November 26, 2013 at 10:04pm

आदरणीय टिप्पणी का जवाब रचना पर ही दिया करें!

आपका कहना है कि ये कविता नहीं लघु कथा है तो ये पाठक को कैसे पता चलेगा? आपने शिल्प तो कविता का रखा है और इस तरह के प्रयोग नयी कविता के दौर में होते रहे हैं.

Comment by बृजेश नीरज on November 26, 2013 at 7:57pm

 बढ़िया! ये प्रयोग अब देखने को नहीं मिलते. वैसे कविता बोल अधिक रही है इसीलिए कविता कम कथा अधिक लग रही है. कुछ अनावश्यक शब्दों को अभी हटाने की गुंजाइश है.

फिलहाल इस नए तरह के प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे शेर हुए। मतले के शेर पर एक बार और ध्यान देने की आवश्यकता है।"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेन्द्र जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका  ग़ज़ल को निखारने का पुनः प्रयास करती…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार  बहुत शुक्रिया आपका, बेहतरी का प्रयास ज़रूर करूँगी  सादर "
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"ग़़ज़ल लिखूँगा कहानी मगर धीरे धीरेसमझ में ये आया हुनर धीरे धीरे—कहानी नहीं मैं हकीकत…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नहीं ऐसी बातें कही जाती इकदम     अहद से तू अपने मुकर धीरे-धीरे  जैसा कि प्रथम…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"मुझसे टाईप करने में ग़लती हो गयी थी, दो बार तुझे आ गया था। तुझे ले न जाये उधर तेज़ धाराजिधर उठ रहे…"
5 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद  श्रोतिया जी....लगभग पाँच वर्ष बाद ओ बी ओ     पर अपनी हाज़िरी दी…"
5 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जी, गिरह का शे'र    ग़ज़ल से अलग रहेगा बस यही अड़चन रोक रहीहै     …"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
""पहुंचें" अन्य को आमंत्रित करता हुआ है इस वाक्य में, वह रखें तब भी समस्या यह है कि धीरे…"
5 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छे मिसरे बाँधे हैं अजय जी। परन्तु थोड़ा सा और तराशा जाए तो सभी अशआर और ज़ियादा चमकने लगेंगे। आपकी…"
6 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सजावट से रौनक बढ़ेगी भले हीबनेगा मकाँ  से  ये  घर धीरे धीरे// अच्छा शेर है! अच्छे…"
7 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अच्छी ग़ज़ल कही ऋचा जी। रदीफ़ की कठिनता ग़ज़लकार से और अधिक समय और मेहनत चाहती है। सभी मिसरो को और…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service