मौन हवाएं
सर्द गर्म और सीली सीली
आते जाते
आम जनों की
तबियत ढीली
सन्नाटों की चीख
अनवरत अनुशासित है
लेन देन की बात करे हैं
सारे उल्लू
चन्दा का उजियारा
ढूँढे
जल भर चुल्लू
भूतों और पिशाचों से
बस ये शासित है
दहशत वहशत
खुली सड़क पर
खुल के झूमें
डाकू और लुटेरे
क्षण क्षण
दामन चूमें
शबनम का कतरा
त्रण त्रण में आभासित है
अन्धकार को आज करूँ
लो परिभाषित मैं
संदीप पटेल “दीप”
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सौरभ सर .........ये रचना तो बस लिख गयी ...............पता नहीं चलता कभी कभी के क्या होना चाहिए क्या नहीं
मैंने अनुशासित है लिया है तो शासित ही होना चाहिए ...................पता नहीं सर जी ........कुछ गड़बड़ हुई हो तो अवश्य बताइए शायद कुछ सूझ नहीं रहा है
पहले बन्द में, यदि वह बन्द हा जाये तो, शाषित है होगा या शाषित हैं होगा ?
इस पंक्ति में टंकण त्रुटि हो गयी है जिसे इस तरह से होना चाहिये था -- पहले बन्द में, यदि वह बन्द हो जाये तो, शाषित है होगा या शाषित हैं होगा ?
वस्तुतः यह पंक्ति मेरा प्रश्न है आपसे. यह जिज्ञासा है मेरी.
आपका बन्द है -
लेन देन की बात करे हैं
सारे उल्लू
चन्दा का उजियारा
ढूँढे
जल भर चुल्लू
भूतों और पिशाचों से
बस ये शासित है
यहाँ शासित है के प्रति मेरी जिज्ञासा बनी है.
धन्यवाद, भाईजी.
आप सभी स्नेही मित्रों और अग्रजों का ह्रदय से धन्यवाद स्नेह यूँ ही बनाये रखिये सादर
//पहले बन्द में, यदि वह बन्द हा जाये तो, शाषित है होगा या शषित हैं होगा ?/aआदरणीय सौरभ सर जी सादर प्रणाम
मैं आपके कहे को समझ नहीं सका
कृपया मार्गदर्शन करें
सादर
यानि आप ये भी कर देते हैं.. :-))))
पहले बन्द में, यदि वह बन्द हा जाये तो, शाषित है होगा या शषित हैं होगा ?
शुभ-शुभ
पटेल जी
आप इस रचना के लिए बधाई के पात्र है i
आदरणीय संदीप भाई बहुत ही सुन्दर रचना बधाई आपको.................
बेहद सुंदर ! बधाई स्वीकारें आदरणीय संदीप जी
बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!
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