For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात का दूसरा पहर 

दूर तक पसरा सन्नाटा और
गहरा कोहरा
टिमटिमाती स्ट्रीटलाइट
जो कोहरे के दम से
अपना दम खो चुकी है लगभग
कितनी सर्द लेहर लगती है
जैसे कोहरे की प्रेमिका
ठंडी हवा बन गीत गाती हो
झूम जाती हो
कभी कभी हल्के से
कोहरे को अपनी बाहों में ले
आगे बढ़ जाया करती
पर कोहरा नकचढ़ा बन वापस
अपनी जगह आ बैठता
ज़िद्दी कोहरा प्रेम से परे
बस अपने काम का मारा
सर्द रात में खुद का साम्राज्य
जमाये है हर तरफ
गली, दुकान, बड़े और
छोटे मकान, पेड़, पौधे
और सड़कों कि स्ट्रीटलाइट
पर जमा बैठा है
सारे लोगों को ठिठुरा कर
घर भेज दिया...

सोचती हूँ 

क़ाश ये कोहरे जैसा भी कुछ
मन में भी होता जो
मन की सड़को से
चिन्ताओं को ठिठुरा कर
वापस समय में विलीन कर देता
और मन को खुद से ढक कर
एक सुकून भरी रात तो देता मुझे
काश!!!.......

(मौलिक एव अप्रकाशित)

प्रियंका.......

Views: 1009

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Priyanka singh on December 16, 2013 at 10:36pm

आदरणीय डॉ आशुतोष जी आपकी सराहना से मेरा लिखने प्रयास सफल हुआ.……अपने मेरी रचना को अपने विचार दे कर पूर्ण कर दिया, बहुत बहुत आभार आपका ……

Comment by Priyanka singh on December 16, 2013 at 10:31pm

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय राहुल देव जी ........

Comment by Priyanka singh on December 16, 2013 at 10:28pm

रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय अरुण जी।

Comment by vijay nikore on December 16, 2013 at 3:49am

अभी आपकी कविता पुन: पढ़ी।

 

सार्थक चित्रात्मक बिम्बों से भरपूर आपकी रचना बहुत ही लुभावनी बन पड़ी है। आपको हार्दिक बधाई, आदरणीया प्रियंका जी।

 

सादर,

विजय

 

Comment by Neeraj Neer on December 15, 2013 at 8:51pm

बहुत ही सुन्दर भाव .. कोहरे और सर्दी के बहाने आपने अपनी दिल की बात कविता के माध्यम से सुन्दरता से प्रकट किया .. बहुत बधाई ..

Comment by MAHIMA SHREE on December 13, 2013 at 11:02pm

सुंदर भावाभिव्यक्ति आ. प्रियंका जी हार्दिक बधाई

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 13, 2013 at 9:31pm

बहुत सुन्दर भाव पिरोये हैं आपने जय हो

Comment by Satyanarayan Singh on December 13, 2013 at 6:13pm
आ, प्रियंका जी
शब्दो का कुशल संयोजन एवं कल्पना का काव्य विन्यास सभी मन को भा गए अतएव बधाई स्वीकार करें
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 13, 2013 at 9:09am

क़ाश ये कोहरे जैसा भी कुछ
मन में भी होता जो
मन की सड़को से
चिन्ताओं को ठिठुरा कर
वापस समय में विलीन कर देता
और मन को खुद से ढक कर
एक सुकून भरी रात तो देता मुझे
काश!!!.......

अंतर की सुंदर कल्पनाओं को बहुत खूबसूरती से चित्रित किया है, बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रियंका जी

Comment by vijay nikore on December 13, 2013 at 9:03am

//क़ाश ये कोहरे जैसा भी कुछ
मन में भी होता जो
मन की सड़को से
चिन्ताओं को ठिठुरा कर
वापस समय में विलीन कर देता//

कोहरे के माध्यम कल्पना को ऊँची उड़ान दी है आपने। बधाई आदरणीया प्रियंका जी।

 

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
27 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service