For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कागज़ पर अंकित नक्शा नही है देश...

उन्हें विरासत में मिली है सीख
कि देश एक नक्शा है कागज़ का
चार फोल्ड कर लो
तो रुमाल बन कर जेब में आ जाये

देश का सारा खजाना
उनके बटुवे में है
तभी तो कितनी फूली दीखती उनकी जेब
इसीलिए वे करते घोषणाएं
कि हमने तुम पर
उन लोगों के ज़रिये
खूब लुटाये पैसे
मुठ्ठियाँ भर-भर के


विडम्बना ये कि अविवेकी हम
पहचान नही पाए असली दाता को

उन्हें नाज़ है कि
त्याग और बलिदान का
सर्वाधिकार उनके पास सुरक्षित है


इसीलिए वे चाहते हैं
कि उनकी महत्वाकांक्षाओं के लिए
हम भी हँसते-हँसते बलिदान हो जाएँ
और उनके ऐशो-आराम के लिए
त्याग दें स्वप्न देखना...
त्याग दें प्रश्न करना...
त्याग दें उम्मीद रखना.....

क्योंकि उन्हें विरासत में मिली सीख
कि टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं से
कागज़ पर अंकित
देश एक नक्शा मात्र है....

(मौलिक अप्रकाशित) 

Views: 562

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 4:54pm

आदरणीय अनवर सुहैलजी, दिल से बधाई स्वीकारे इस कविता के होने लिए.

मात्र शीर्षक पढ़ कर मेरे जैसा कोई पाठक, अवश्य है, कि पूरी कविता के प्रति अन्यमनस्क हो सकता है. कारण, शीर्षक में कविश्रेष्ठ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की एक अमर कविता से लिया गया जीवन-रक्त है.

लेकिन जैसे ही कविता आगे बढ़ती है, न केवल अपनी सत्ता बनाती चलती है, आखिर तक आते-आते पाठक की सोच को झकझोर डालती है.

इस सशक्त कविता के होने पर बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें, आदरणीय.
सादर

Comment by MAHIMA SHREE on December 13, 2013 at 10:34pm

क्योंकि उन्हें विरासत में मिली सीख
कि टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं से
कागज़ पर अंकित
देश एक नक्शा मात्र है....

क्या बात है सर ..जोरदार और धारदार भी ...ढेरो बधाई आपको ...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 10:24pm

अच्छी रचना है जनाब अनवर सुहैल साहब बधाई आपको

Comment by annapurna bajpai on December 12, 2013 at 9:15pm

सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई .आ० अनवर जी । 

Comment by Arun Sri on December 12, 2013 at 12:34pm

जोरदार तमाचा है देश का बपौती समझने वालों के मुंह पर साथ ही सर्वसाधारण को झकझोरती भी है !
//देश एक नक्शा है कागज़ का// ..... कहीं गहरे तक धसती पंक्ति ! साधुवाद !

Comment by Priyanka singh on December 11, 2013 at 10:33pm

क्योंकि उन्हें विरासत में मिली सीख 
कि टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं से
कागज़ पर अंकित 
देश एक नक्शा मात्र है....

सत्य.....सत्य और सिर्फ सत्य ...शायद यही वजूद रह गया है आज देश का ...उन्हें विरासत में मिली है सीख 
कि देश एक नक्शा है कागज़ का 
चार फोल्ड कर लो
तो रुमाल बन कर जेब में आ जाये...........अद्भुत रचना ....सर बधाई 

Comment by Tapan Dubey on December 11, 2013 at 5:49pm
अनवर भाई बहुत खूब लिखा है वाह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 11, 2013 at 5:09pm

आदरणीय , सुन्दर रचना के लिये बधाई !!!!!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 11, 2013 at 3:03pm

मित्र सुहैलं जी

बहुत सुन्दर रचना i

त्याग दे स्वप्न देखना/ प्रश्न करना /उम्मीद रखना ----

मेरी बधाइयाँ  i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
11 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service