मुश्किल काम होता है
चढ़ाये रखना ,
लगातार बहुत समय तक
सजावट को ,
रह पाये कोई अगर तुम्हारे साथ
अधिक समय तक
लगातार, तो
फीकी पड़ने लगेंगी
उतरने लगेंगी
दरकने लगेंगी
परत दर परत
सजावटें
अव्यवस्थित हो जायेंगी
सारी सावधानियाँ
जाहिर होने लगेगा
असली रूप !!!
मुखौटे
चाहे आप चेहरे पे चढ़ाये हों
या
अपनी भावनाओं पर !!!!
*******************
मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
भावदशा का यह प्रारूप सुखकर लगा है, आदरणीय गिरिराजभाई.. .
सजावट वस्तुतः बनावट है.. :-)))
जय होऽ
आदरणीय नीरज भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ !!!!
बहुत ही सत्य बात कही है ..
आदरणीया मीना जी , रचना की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!
बहोत सही बात कही आप ने आदरणीय गिरिराज जी, बहुत सुन्दर, सादर बधाई स्वीकारें
आदरणीया प्राची जी , रचना की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!!!!
आदरणीय हेमंत भाई , रचना की सराहना के लिये आपका दिली शुक्रिया !!!!!
कृत्रिम मुखौटों की भंगुरता पर सुन्दर अभिव्यक्ति
हार्दिक बधाई
aa. bahut hi khubshoorat badhai aapako........
आदरणीय शिज्जू भाई , !!!!! रचना की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!!!!
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