For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रात को चाँद फिर आयेगा देखिये.

२१२  २१२   २१२     २१२

रात को चाँद फिर आयेगा देखिये

आके दिल फिर जला जायेगा देखिये

 

हम रहेंगे खड़े रात भर छत पे ही 

बादलों में वो छुप जायेगा देखिये

 

अपने दीवानों पे रोज ही इस तरह

चांद क्या क्या सितम ढायेगा देखिये

 

हम जिसे भूल पाए कभी हैं  नहीं

किस तरह वो भुला पायेगा देखिये

 

रंग गिरगिट के जैसे बदलता है जो 

कैसे वादे निभा पायेगा देखिये

 

चांदनी बन जमी पर उतरता रहा

खुद जमी पर वो कब आयेगा देखिये

 

फिर सितारों की बारात वो लायेगा

जलवे यूं रोज दिखलायेगा देखिये 

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on December 12, 2013 at 6:56pm

बहुत सुंदर गज़ल....

अपने दीवानों पे रोज ही इस तरह

चांद क्या क्या सितम ढायेगा देखिये

हम जिसे भूल पाए कभी हैं  नहीं

किस तरह वो भुला पायेगा देखिये

शक्ल गिरगिट के जैसे बदलता है जो 

कैसे वादे निभा पायेगा देखिये

चांदनी बन जमी पर उतरता रहा

खुद जमी पर वो कब आयेगा देखिये

सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 12, 2013 at 5:27pm

बहुत ख़ूब आदरणीय ... बधाई 
.
शक्ल गिरगिट के जैसे बदलता है जो ... को "रंग" कर के देखिये 
सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 12, 2013 at 11:27am

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..आप का स्नेह यूं ही सतत मिलता रहे बस यही दिल की ख्वाइश है ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 12, 2013 at 11:26am

आदरणीय शिज्जू जी ..हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 12, 2013 at 11:25am

आदरणीय गोपाल सर ..बस आपका आशीर्वाद यूं ही मिलता रहे यही मेरी कामना है ....सादर प्रणाम 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 12, 2013 at 11:25am

आदरणीय राम शिरोमणि जी ..उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद ..सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 12, 2013 at 7:18am

आदरणीय आशुतोष जी , बहुत सुन्दर गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 11, 2013 at 9:58pm

अच्छी ग़ज़ल है आदरणीय आशुतोष सर बधाई आपको

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 11, 2013 at 8:03pm

बहुत खूब गजल कही आशुतोष भाई i

बधाई ---- बधाई -------- बधाई  ii

Comment by ram shiromani pathak on December 11, 2013 at 7:48pm

इस  सुन्दर ग़ज़ल   हेतु हार्दिक बधाई आपको आदरणीय आशुतोष  जी। ...   सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों को केंद्र में रख कर कही गई  इस उम्दा गजल के लिए बहुत-बहुत…"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, अच्छी  ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें. अपनी टिप्पणी से…"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाई जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छी प्रयास है । आप को पुनः सृजन रत देखकर खुशी हो रही…"
14 hours ago
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय बृजेश जी प्रेम में आँसू और जदाई के परिणाम पर सुंदर ताना बाना बुना है आपने ।  कहीं नजर…"
14 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
Wednesday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
Wednesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service