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रात को चाँद फिर आयेगा देखिये.

२१२  २१२   २१२     २१२

रात को चाँद फिर आयेगा देखिये

आके दिल फिर जला जायेगा देखिये

 

हम रहेंगे खड़े रात भर छत पे ही 

बादलों में वो छुप जायेगा देखिये

 

अपने दीवानों पे रोज ही इस तरह

चांद क्या क्या सितम ढायेगा देखिये

 

हम जिसे भूल पाए कभी हैं  नहीं

किस तरह वो भुला पायेगा देखिये

 

रंग गिरगिट के जैसे बदलता है जो 

कैसे वादे निभा पायेगा देखिये

 

चांदनी बन जमी पर उतरता रहा

खुद जमी पर वो कब आयेगा देखिये

 

फिर सितारों की बारात वो लायेगा

जलवे यूं रोज दिखलायेगा देखिये 

 

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by coontee mukerji on December 12, 2013 at 6:56pm

बहुत सुंदर गज़ल....

अपने दीवानों पे रोज ही इस तरह

चांद क्या क्या सितम ढायेगा देखिये

हम जिसे भूल पाए कभी हैं  नहीं

किस तरह वो भुला पायेगा देखिये

शक्ल गिरगिट के जैसे बदलता है जो 

कैसे वादे निभा पायेगा देखिये

चांदनी बन जमी पर उतरता रहा

खुद जमी पर वो कब आयेगा देखिये

सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on December 12, 2013 at 5:27pm

बहुत ख़ूब आदरणीय ... बधाई 
.
शक्ल गिरगिट के जैसे बदलता है जो ... को "रंग" कर के देखिये 
सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 12, 2013 at 11:27am

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..आप का स्नेह यूं ही सतत मिलता रहे बस यही दिल की ख्वाइश है ..सादर प्रणाम के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 12, 2013 at 11:26am

आदरणीय शिज्जू जी ..हौसला अफजाई के लिए हार्दिक धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 12, 2013 at 11:25am

आदरणीय गोपाल सर ..बस आपका आशीर्वाद यूं ही मिलता रहे यही मेरी कामना है ....सादर प्रणाम 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 12, 2013 at 11:25am

आदरणीय राम शिरोमणि जी ..उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद ..सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 12, 2013 at 7:18am

आदरणीय आशुतोष जी , बहुत सुन्दर गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ !!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 11, 2013 at 9:58pm

अच्छी ग़ज़ल है आदरणीय आशुतोष सर बधाई आपको

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 11, 2013 at 8:03pm

बहुत खूब गजल कही आशुतोष भाई i

बधाई ---- बधाई -------- बधाई  ii

Comment by ram shiromani pathak on December 11, 2013 at 7:48pm

इस  सुन्दर ग़ज़ल   हेतु हार्दिक बधाई आपको आदरणीय आशुतोष  जी। ...   सादर 

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