स्कूल के कुछ दोस्त मिलकर घर में पड़े पुराने कम्बल गरीबों में बाँटने को निकले। कम्बल बाँट कर वे ज्यों ही वापस चलने को हुए, एक बुजुर्ग ने आवाज़ लगाई ………
"जी बाबा, आपको तो कम्बल दे दिया न ?"
"बबुआ जी, पिछले तीन दिन से चमचमाती गाड़ियों में साहब लोग आते हैं, कम्बल बाँट कर फ़ोटो खिचवाते हैं और फिर २०-२० रूपया देकर कम्बल वापस ……… "
(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट =>कीमत
Comment
लघुकथा ऐसी जो सोचने पर विवश कर दे ////"देखन को छोटन लगे घाव करे गम्भीर" जय हो … आदरणीय गणेश जी हार्दिक बधाई आपको
बहुत सुन्दर लघु कथा .......अप्रत्याशित अंत ......एक सघन सोच लेखक की
आ. बागी जी सादर
इस रंग बदलती दुनिया का आपने एक और पहलु समाज के सामने उजागर किया है इस लघु कथा के माध्यम से हार्दिक बधाई आदरणीय.
ह्म्म्म मम्म ऐसा भी होता ?? ये मुझे पता नहीं था ... कई ढोंग और धोखे गरीबो के साथ होते हैं पर .. ये तो बहुत बड़ा और घिनोना मजाक है ... बधाई आदरणीय बागी जी .. लघु कथा के बहाने सेवा पे नाम पर ऐसी घटनाओं को उद्घाटित करने के लिए .. सादर
आदरणीय भ्राताश्री वाह बहुत ही सटीक और कडवी सच्चाई बयां की है आपने दिल खुश हो गया पढ़कर बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.
आदरणीय गणेश भैया,
कई देसी- विदेशी तथाकथित सेवा संस्थानों के क्रियाकलाप का भेद आपने खोल दिया है. गरीबों की सेवा करने और फ़िर उस संस्थान के एक पोस्ट के लिये चुने जाने के लिये लाखों खर्च करने वालों की हकीकत है.
सुन्दर कथा है.
सादर.
आज के समय में यही सब हो रहा है, क्या पता भविष्य में इन्सान के और कितने रूप देखने को मिलते है, शायद २० रु भी न दें एवम तस्वीरे भी निकल जाये ,वर्तमान के कटु सत्य को बयां करती लघुकथा हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय गणेश जी :-))
ओह !!! कडवी सच्चाई बयां करती लघुकथा ....सटीक प्रहार ! आदरणीय गणेश जी
सस्ते में नाम ( और पुण्य ) कमाने की इस नई तरकीब का सफल प्रयोग सचमुच ही कुछ लोग करते होंगे और कुछ प्रारम्भ कर देंगे॥
सच्चाई के करीब इस लघु कथा की हार्दिक बधाई आदरणीय गणेश भाई॥
इस दिखावटी दुनिया में सब सम्भव है।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online