For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया : मैं-तुम-हम // --सौरभ

'मैं-तुम’ के शुभ योग से, 'हम’ का आविर्भाव
यही व्यष्टि विस्तार है, यही व्यष्टि अनुभाव
यही व्यष्टि अनुभाव, ’अपर-पर’ का संचेतक    
’अस्मि ब्रह्म’ उद्घोष, ’अहं’ का धुर उत्प्रेरक
’ध्यान-धारणा’  योग, सतत संतुष्ट रखे ’मैं’
’प्रेय’  क्षुद्र   व्यामोह, ’श्रेय’ निर्वाह  करे ’मैं’

’तुम’ ऊर्जा, ’तुम’ प्राणवत, ’तुम’ ’मैं’ का विस्तार
गहन  भाव  संतृप्त  यह,  मानवता  का सार
मानवता  का  सार, सदा जग ’तुम’ से सधता
’मैं’ कारक का सूच्य, जगत तो ’तुम’ से चलता
बहु-धारक  का  भाव, जिये  ज्यों  खगधारी द्रुम
संज्ञाएँ   प्रच्छन्न,   धारता   हर संभव  ’तुम’

’हम’  अद्भुत  अवधारणा, ’हम’  अद्भुत  संज्ञान
यह  समष्टि  के मूल का  अति उन्नत विज्ञान
अति उन्नत विज्ञान, व्यक्तिवाचक का व्यापन
उच्च  भाव  संपिण्ड, ’अहं’  का  भाव  समापन
उच्च  मनस  का  हेतु, ’भाव-कर्ता’  पर  संयम
स्वार्थ तिरोहित सान्द्र, तभी हो ’मैं-तुम’ का ’हम’

*******


--सौरभ

(मौलिक और अप्रकशित)

Views: 826

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 28, 2014 at 11:13pm

धन्यवाद भाई रामशिरोमणीजी...

Comment by ram shiromani pathak on January 15, 2014 at 9:54am

इन अनुपम कुंडलियों के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय। .... सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 14, 2014 at 3:54pm

इन छंदों के कथ्य को स्वीकारने के लिए समस्त सुधी पाठकों को मेरा आभार..

सादर

Comment by S. C. Brahmachari on January 9, 2014 at 8:59pm

अद्वैत से आरंभ हो कर विभिन्न कोशों से गुजरने का एहसास कराती है आपकी रचनाएँ ! प्रशंसा सूरज को दीप दिखाना होगा फिर भी बधाई स्वीकारें !  मैं एक बार फिर गुरुकुल के वातावरण मे डूबने उतराने लगा ............. 

Comment by Meena Pathak on January 9, 2014 at 12:45pm

’हम’  अद्भुत  अवधारणा, ’हम’  अद्भुत  संज्ञान
यह  समष्टि  के मूल का  अति उन्नत विज्ञान
अति उन्नत विज्ञान, व्यक्तिवाचक का व्यापन
उच्च  भाव  संपिण्ड, ’अहं’  का  भाव  समापन
उच्च  मनस  का  हेतु, ’भाव-कर्ता’  पर  संयम 
स्वार्थ तिरोहित सान्द्र, तभी हो ’मैं-तुम’ का ’हम’...........नमन आप की लेखनी को 

 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 9, 2014 at 11:49am

आदरणीय श्री सौरभ सर वाह "मैं, तुम, हम" विषय पर केन्द्रित तीनो ही कुण्डलिया हृदयस्पर्शी हैं, जिस सुन्दरता से आपने मैं, तुम और हम को परिभाषित किया है वह देखते ही बनता है. दिल खुश हो गया पढ़कर कुछ अधिक कहना संभव नहीं. हृदयतल से भूरि भूरि बधाई स्वीकारें.

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on January 8, 2014 at 10:27pm

वाह, बढ़िया कुण्डलियाँ आदरणीय सौरभ जी |

Comment by Saarthi Baidyanath on January 8, 2014 at 10:13pm

'मैं-तुम’ के शुभ योग से, 'हम’ का आविर्भाव
यही व्यष्टि विस्तार है, यही व्यष्टि अनुभाव
यही व्यष्टि अनुभाव, ’अपर-पर’ का संचेतक    
’अस्मि ब्रह्म’ उद्घोष, ’अहं’ का धुर उत्प्रेरक 
’ध्यान-धारणा’  योग, सतत संतुष्ट रखे ’मैं’
’प्रेय’  क्षुद्र   व्यामोह, ’श्रेय’ निर्वाह  करे ’मैं’....अति सुन्दर ! क्या कुंडलियां हैं ...शब्दों का आपकी सामंजस्य,गुंथन व मिलाप ...हिंदी भाषा के प्रति आपकी चाव तथा आपकी समर्थता का बखान कर रही है ...बहुत सुन्दर ! आनंद आ गया पढ़कर :)

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 8, 2014 at 6:47pm

तीनों ही उत्तम कुंडलिया छंद रचना- ""मै, तुम और हम" के आविर्भाव को समझाती, विश्लेषण करती और ज्ञान वर्धक कुंडलिया छंद रचना के लिए हार्दिक बधाई और शिक्षा प्रद ज्ञान देने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय श्री सौरभ भाई जी | सादर 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 8, 2014 at 3:48pm

वाह वाह वाह,,,आदरणीय,,,क्या भाषा,,,क्या शिल्प,,,क्या भाव उत्कर्ष,,,,,दिल खुश हो गया,आपको दिल से बधाइयां और,,नमन ऎसी लेखनी को,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service