For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भ्रष्ट मंत्र है भ्रष्ट तंत्र है

इसे बदलना होगा

अब सत्ता के गलियारों में

हमें पहुंचना होगा

 

वीरों ने हुंकार भरी है

दुश्मन सभी दहल जाओ

भ्रष्टाचारी रिश्वतखोरों

तुम भी सुनो संभल जाओ

अपनी नीयत साफ़ करो अब

नहीं तो मरना होगा

 

वन्देमातरम के जयकारे

जनगणमन का गान करें

जहाँ कहीं भी हो आवश्यक

हम अपना बलिदान करें

देश के इन गद्दारों से अब

हमें निपटना होगा

 

बहुत हो चुकी अब मनमानी

बहुत हो गया भ्रष्टाचार

उठें बढ़ें हम कसें कमर को

देश को  है अब  यही पुकार

अपने अधिकारों को उनसे

हमें झपटना होगा

 

अब तक जिसका खून न उबला

खून नहीं वो पानी है

कदम मिलाकर जो चल देगा

सच्चा हिन्दुस्तानी है

बाकी लोगों को अपना

अस्तित्व परखना होगा

 

संजु शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित   

*यह गीत मैंने अन्ना आन्दोलन के समय लिखा था. आप सभी से मार्गदर्शन अपेक्षित है

Views: 934

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sanju shabdita on February 4, 2014 at 7:17pm

जी सर अब मुझे किसी प्रकार का भ्रम नहीं,कुछ बातें स्पष्ट करना चाहती थी जो आपसे बात करने के बाद ही स्पष्ट हो गईं .पुनः निर्देशित करने हेतु आपका हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 2, 2014 at 8:35pm

आपके इस गीत पर चर्चा और बातें काफ़ी हो गयीं. सार्थक समझ बनी रहे, वही समीचीन है.

आप इस लिहाज़ के कुछ गीत भी पढिये. संशय या भ्रम दूर हो जायेंगे.

शुभेच्छाएँ

 

Comment by sanju shabdita on February 2, 2014 at 8:09pm

आदरणीय सौरभ सर आपको मेरा प्रयास बढ़िया लगा आपका हार्दिक आभार .

"लयबद्धता के अलावे ऐसे गीतों में ओज की आवश्यकता होती है.. तभी इनकी सार्थकता है. क्योंकि ऐसे गीत मनोदशा और परिस्थिति विशेष में रचे गये होते हैं .. जोशीले वाक्य और विन्दु तभी प्रभावी होते हैं जब नारों की शक्ल में कहे जायँ .."//

जी सर आपने बिलकुल ठीक कहा,प्रस्तुत गीत विशेष मनोदशा एवं परिस्थिति में ही लिखा गया है सो कुछ पंक्तियाँ  का 'नारों' की शक्ल में होना स्वाभाविक ही था .विशेष यह की लिखते समय मैंने किसी  विधा को लक्ष्य कर नहीं लिखा था अभी कुछ दिन पहले ही पता चला की यह गीत है.मनोबल बढ़ाने  हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद .  सादर

Comment by sanju shabdita on February 2, 2014 at 7:57pm

आ० प्राची जी उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार .जी बिलकुल आगे भी मैं ओजमय गीत लिखने के प्रयास करती रहूंगी .

                          सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 31, 2014 at 3:29pm

वाह .. बढिया प्रयास हुआ है, संजूशब्दिताजी..

लयबद्धता के अलावे ऐसे गीतों में ओज की आवश्यकता होती है.. तभी इनकी सार्थकता है. क्योंकि ऐसे गीत मनोदशा और परिस्थिति विशेष में रचे गये होते हैं .. जोशीले वाक्य और विन्दु तभी प्रभावी होते हैं जब नारों की शक्ल में कहे जायँ ..

बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 27, 2014 at 3:37pm

बहुत सुन्दर सार्थक गीत लिखा है प्रिय संजु शब्दिता जी 

शब्द संयोजन और प्रवाह भी बहुत सुन्दर है.... सामयिक मुद्दों पर ऐसे ही ओजमय गीत लिखती रहिये.. 

शुभकामनाएं 

Comment by vijay nikore on January 24, 2014 at 7:27am

सुन्दर भावाभिव्यक्ति। बधाई

Comment by sanju shabdita on January 23, 2014 at 7:39pm

आदरणीय योगराज सर प्रस्तुत गीत को मान देने एवं अनुमोदन हेतु आपका बहुत बहुत आभार


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 23, 2014 at 2:52pm

बहुत ही सुन्दर गीत रचा है, प्रवाह और शब्द संयोजन प्रभावशाली है. बधाई स्वीकारें संजू शब्दिता जी.

Comment by sanju shabdita on January 23, 2014 at 1:20pm

आ० प्रियंका ज बहुत बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service