For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बह्र : २१२ २१२ २१२

जब उड़ी नोच डाली गई
ओढ़नी नोच डाली गई

एक भौंरे को हाँ कह दिया
पंखुड़ी नोच डाली गई

रीझ उठी नाचते मोर पे
मोरनी नोच डाली गई

खूब उड़ी आसमाँ में पतंग
जब कटी नोच डाली गई

देव मानव के चिर द्वंद्व में
उर्वशी नोच डाली गई
------------
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 950

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Saarthi Baidyanath on January 28, 2014 at 10:59am

बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल ..ये शेर मेरी पसंद का 

एक भौंरे को हाँ कह दिया
पंखुड़ी नोच डाली गई....वाह ..क्या कहने !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 28, 2014 at 8:57am

बहुत शानदार ग़ज़ल कही है आ० धर्मेन्द्र जी 

हर शेर मन में एक टीस उत्पन्न करता हुआ...

बहुत बहत बधाई 

Comment by Tilak Raj Kapoor on January 27, 2014 at 10:55pm

भाई बाकमाल ग़ज़ल है। इस उम्‍दा ग़ज़ल के लिये बधाई। 

Comment by बृजेश नीरज on January 27, 2014 at 10:26pm

बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Sarita Bhatia on January 27, 2014 at 7:59pm

मार्मिक गजल 

Comment by Arun Sri on January 27, 2014 at 12:28pm

कब से पढ़ रहा हूँ ! और फिर भी पढ़ने का मन कर रहा है ! तारीफ में कुछ नही लिखूंगा ! फिर से पढता हूँ एक बार !

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 27, 2014 at 10:43am

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई जी आप ग़ज़ल में कठिन रदीफ़ चुनते हैं और जिस खूबसूरती से उसका निर्वाह करते हैं वो काबिले तारीफ है. सुन्दर ग़ज़ल बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2014 at 6:02pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , लाजवाब गज़ल कही है , सभी शे र खूबसूरत हैं ॥ बधाइयाँ कुबूल हो ॥

Comment by MAHIMA SHREE on January 26, 2014 at 5:26pm

जब उड़ी नोच डाली गई
ओढ़नी नोच डाली गई.... भीतर तक भेद गयी ... आपकी लेखनी को नमन ...धन्यवाद ... आधी आबादी के दर्द को आपने स्वर दिया ...सादर आभार

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 26, 2014 at 3:57pm

वाह भाई जी  बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service