अनकही बातें धड़कतीं
मुस्कुराती
पल रही हैं.
थाम यादों की उँगलियाँ
स्वप्न जो
गुपचुप सजाये
शब्द आँखों में उफनते
क्या हुआ जो
खुल न पाये
भाव लहरें
तलहटी में
व्यक्त हो अविरल बही हैं.
रच गए जब
स्वप्न पट पर
नेह गाथा चित चितेरे
रंग फागुन से चुरा कर
कल्पनाओं में बिखेरे...
श्वास में
घुल कर बहीं जो
वो हवाएँ निस्पृही हैं.
खनखनाती खिलखिलाहट
प्रीत की
अनमोल पूँजी
व्यक्त हो
बन चीख-चिल्ली
द्वार जब-तब तोड़ गूँजी
किन्तु इस दहलीज पर
कब ये मिलन-पल
आग्रही हैं ?
Comment
प्रस्तुत नवगीत में मानवीय संवेदनाओं के कई तथ्य इतनी बारीकी से पिरोये गये हैं कि पूरा नवगीत संग्रहणीय बन पड़ा है.
कहने-न कहने की शाश्वत दुविधा को इतने सार्थक और सहज शब्द मिले हैं कि अनुनय को फिर एक नयी ऊँचाई मिलती प्रतीत हो रही है. सांसारिक बिम्बों को अत्युच्च भावनाओं को संप्रेषित करने के लिए प्रयुक्त किया जाना रचनाकारों का सदा से प्रिय शगल रहा है. लेकिन इस प्रस्तुति में उद्दात भावनाओं को स्वर देते हुए रचनाकार हार्दिक स्वीकृति को शाब्दिक करने में अन्यथा व्यामोह को विस्तार नहीं देता.
आदरणीया प्राचीजी, आपकी अबतक की सर्वश्रेष्ट रचनाओं में से एक इस रचना गुजरना एक पाठक के तौर पर सुखद अनुभूति रही.
एक बात और, व्यक्तिगत अनुभूतियों के अलावे सामाजिक और समष्टि की भावनाओं को नवगीत अधिक मुखर करते हैं. करने चाहिये भी.
गीत और नवगीत में यह एक बहुत ही महीन किन्तु अत्यंत सबल अंतर है. सामाजिक पक्षों के हर्ष-विशाद आदि को अभिव्यक्त करते आपके नवगीतों की प्रतीक्षा रहेगी.
सादर
बहुत सुंदर नवगीत , बधाई आ0 प्राची जी ।
रच गए जब
स्वप्न पट पर
नेह गाथा चित चितेरे
रंग फागुन से चुरा कर
कल्पनाओं में बिखेरे...
मनोभावों को अत्यंत सुन्दर ढंग से आपने व्यक्त किया है प्राची जी,बधाई हो।
बहुत सुंदर और सार्थक नवगीत के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीया प्राची जी
किन्तु इस दहलीज पर
कब ये मिलन-पल
आग्रही हैं ?....इन पंक्तियों में पूरे गीत का सार है जो एक प्रश्न छोड़ देता है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति प्रिय प्राची बहुत-बहुत बधाई
खनखनाती खिलखिलाहट
प्रीत की
अनमोल पूँजी. बहुत सुन्दर बन पड़ा है नवगीत डॉ. प्राची जी. आपकी सभी रचनाएँ,.उनके भाव उच्च कोटि के होते हैं .मेरी शुभकामनाएं आपको .
इस अति मनोहारी रचना के लिए साधुवाद।
बहुत सुंदर रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीया डा. प्राची जी
आदरणीया प्राची जी , सुन्दर नवगीत रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥
बहुत सुंदर रचना. प्राची जी हार्दिक बधाई.
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