2122 2122 2122 212
सच को देखा आँख मूंदे दिन चढ़े सोते हुये
आँसुओं से भीगते , बस झींकते रोते हुये
देख भाई बचपनों से, खो न जाये,सादगी
मैने देखा अनुभवी को धूर्त ही होते हुये
ठीक है अब खूब रोशन आज दिन लगता है पर
सूर्य को तुम देखना अब ओट में होते हुये
हर हक़ीकत तेज़ आन्धी की तरह झपटी उधर
जब भी देखी मुफलिसों को ख़्वाब संजोते हुये
फिर वही तेज़ाबी बारिश , फिर वही विष बीज है
फिर कटीली झाड़ियाँ , सब दिख रहे बोते हुये
रास्ते खुशियों के , मैने हर समय देखा यही
आँसुओं से या ग़मों से ही गये होते हुये
बुलबुला है हर खुशी अब तू ग़मों का साथ कर
मैने देखा बुलबुलों को फूटते , खोते हुये
ज़िंदगी का हाल तुमको क्या बताऊँ दोस्तों
पहले गुज़री पाप करते ,बाक़ी अब धोते हुये
है ग़लत तक़्सीम * दुबले हो गये हैं जाँ ब लब *
और मोटे दिख रहे ,मोटे सभी होते हुये
मोतियाँ पा लेना भी तक़दीर की बातें लगी
कितने खाली हाथ बैठे , सैकड़ों गोते हुये
तक़्सीम = बंटवारा ,
जाँ ब लब = जान होठों तक आना
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय राम शिरोमणी भाई , गज़ल के चार चार शेर को आपकी पसन्दगी मिली , दिल से खुशी हुई , देर से शुक्रिया से लिये क्षमा चाहता हूँ , गज़ल की सराहना के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ॥
आदरणीय सौरभ भाई , भतीजे की शादी मे व्यस्त था इसलिये देर से शुक्रिया कर रहा हूँ , क्षमा प्रार्थी हूँ ॥ ग़ज़ल पर आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ॥
ठीक है अब खूब रोशन आज दिन लगता है पर
सूर्य को तुम देखना अब ओट में होते हुये
हर हक़ीकत तेज़ आन्धी की तरह झपटी उधर
जब भी देखी मुफलिसों को ख़्वाब संजोते हुये
फिर वही तेज़ाबी बारिश , फिर वही विष बीज है
फिर कटीली झाड़ियाँ , सब दिख रहे बोते हुये
रास्ते खुशियों के , मैने हर समय देखा यही
आँसुओं से या ग़मों से ही गये होते हुये
बुलबुला है हर खुशी अब तू ग़मों का साथ कर
मैने देखा बुलबुलों को फूटते , खोते हुये
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय गिरिराज जी। हार्दिक बधाई आपको
मोतियाँ पा लेना भी तक़दीर की बातें लगी
कितने खाली हाथ बैठे , सैकड़ों गोते हुये
इस शेर के बरक्स इस पूरी ग़ज़ल पर बार-बार दाद है आदरणीय गिरिराज भाई.
सच कहूँ, तो बहुत दिनों पर आपने ग़ज़ल कहने का प्रयास किया है और क्या कहा है !
जय हो..
सादर
आदरणीय रमेश भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
आदरणीय बड़े भाई विजय जी , ग़ज़ल को आपका आशीर्वाद मिला , बड़ी खुशी हुई , आपका हार्दिक आभार ॥
आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल की तारीफ के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥
बेहतरी लाजवाब भैयाजी बहुत बहुत बधाई
इस खूबसूरत गज़ल के लिए हार्दिक बधाई, भाई गिरिराज जी।
आदरणीय भाई गिरिराज जी , दिलखुश ग़ज़ल है ,किस तरह प्रशंसा करूँ. इन दो असआरो ने अत्यधिक प्रभावित किया
रास्ते खुशियों के , मैने हर समय देखा यही
आँसुओं से या ग़मों से ही गये होते हुये
ज़िंदगी का हाल तुमको क्या बताऊँ दोस्तों
पहले गुज़री पाप करते ,बाक़ी अब धोते हुये
हार्दिक बधाई .
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