For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - जीत गाएगी थोड़ा सबर कीजिए - पूनम शुक्ला

2122. 1221. 2212


जा चुकी यामिनी मुश्तहर कीजिए
हो सके अब तो थोड़ा सहर कीजिए

भेज दें गंध जो भी हो आकाश में
गुलशनों को कहीं तो खबर कीजिए

हर तरफ आग ही आग जलती तो है
तान सीना उसे बेअसर कीजिए

झूठ की आज चारों तरफ जीत है
सत्यता की कहानी अमर कीजिए

जुल्म की रात हरदम डराती हमें
जालिमों का खुलासा मगर कीजिए

तीरगी घेर ले गर कभी राह में.
अश्क से फिर न दामन यूँ तर कीजिए.

रेत सी जिन्दगी हाथ आती नहीं
पत्थरों पर लिखा कुछ मगर कीजिए

रोशनी आने से फिर भी शरमाती हो
जानकर इनको बारे- दिगर कीजिए

एक आवाज़ आएगी आकाश से
बात इतनी हमारी अगर कीजिए

इम्तेहाँ हर कदम में तो आते ही हैं
जीत गाएगी थोड़ा सबर कीजिए

जिन्दगी का दुखों से सरोकार है
हो सके गर बसर तो बसर कीजिए

पूनम शुक्ला

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 597

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 23, 2014 at 1:20am

आपकी इस ग़ज़ल ने प्रभावित किया है, आदरणीया. हृदय से बधाई और ढेर सारी दाद !

शुभ-शुभ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 6, 2014 at 12:17pm

जीवन का एक फलसफा साझा करती सुन्दर ग़ज़ल हुई है 

हार्दिक बधाई स्वीकारिये आ० पूनम शुक्ला जी 

Comment by Meena Pathak on March 3, 2014 at 9:50am
Bahut khoob....Badhai
Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on March 2, 2014 at 8:27pm

जुल्म की रात हरदम डराती हमें
जालिमों का खुलासा मगर कीजिए................बहुत खूब आदरणीया!

Comment by बृजेश नीरज on March 2, 2014 at 1:56pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 2, 2014 at 2:06am

इम्तेहाँ हर कदम में तो आते ही हैं
जीत गाएगी थोड़ा सबर कीजिए

जिन्दगी का दुखों से सरोकार है
हो सके गर बसर तो बसर कीजिए

बहुत सुंदर भावपूर्ण गजल आदरणीया पूनम जी, आपको हार्दिक बधाई

Comment by Sarita Bhatia on March 1, 2014 at 8:29pm

वाह पूनम जी खुबसूरत 

Comment by annapurna bajpai on March 1, 2014 at 1:24pm

बहुत खूब , आ0 पूनम जी  sundआर भाव पूर्ण गजल के लिए बधाई । 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 1, 2014 at 7:11am

आदरणीया, पूनम जी एक भावपूर्ण ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service