For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कैसे सराहूँ सौन्दर्य तुम्हारा ..

कहो प्रिय , कैसे सराहूँ

मैं सौंदर्य तुम्हारा.

मैं चाहता हूँ,

तुम्हारे मुख को कहूँ माहताब.
अधरों को कहूँ लाल गुलाब .
महकती केश राशि को संज्ञा दूँ
मेघ माल की .
लहराते आँचल को कहूँ
मधु मालती .
पर, अपवर्तन का अपना नियम है, 
मेरी दृष्टि गुजरती है,
तुम तक पहुचने से पहले
संवेदना के तल से,
और हो जाती है अपवर्तित
सड़क किनारे डस्टबिन में
खाना ढूंढते व्यक्ति पर,
प्लेटफार्म पर भीख मांगते
चिक्कट बालों वाली
छोटी लड़की पर..
देश के भविष्य से खेलते
झूठे वादे और बकवाद करते नेताओं पर.
मेरी संवेदना तुम्हें शायद
अर्थ हीन लगे, पर
यही है मेरा सत्य,
मेरा तल.
कहो! प्रिय, कैसे सराहूँ
मैं सौंदर्य तुम्हारा..


नीरज कुमार ‘नीर’
पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 541

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on April 1, 2014 at 11:05pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीया डॉ प्राची सिंह साहिबा .. आपको कविता इतनी भी अच्छी लगी तो लेखन सार्थक हो गया . मैं तो इसे पोस्ट ही नहीं कर रहा था. चार छः महीने से यह रचना पड़ी थी , फिर एक दिन सोचा पोस्ट करता हूँ ... आपका हार्दिक धन्यवाद ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 1, 2014 at 5:49pm

आ० नीरज नीर जी 

रचना जिस ज़मीन पर हुई है मुझे बहुत पसंद आयी... इसी भाव भूमि पर मैंने भी एक रचना लिखी थी 'निगाहें' उसकी याद हो आयी.

मुझे ऐसा अवश्य ही लगा की कथ्य को सपोर्ट करने में रचना में संवेदनशीलता बीच की पंक्तियों में कुछ कम लगी... क्योंकि 'अपवर्तन का नियम' ये शब्द मुझे कुछ रूखापन लिए हुए लगे...

वैसे सुन्दर प्रयास हुआ है 

आपको हार्दिक बधाई 

Comment by Neeraj Neer on March 28, 2014 at 8:55am

हार्दिक आभार आपका आदरणीय सौरभ जी ... रचना पसंद आयी  हार्दिक धन्यवाद . 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 28, 2014 at 1:13am

प्रस्तुति और बिम्बों के हिसाब से रोचक रचना हुई है. कथ्य में नयापन तो नहीं लेकिन उबाऊ भी नहीं है.

इस संवेदनशील रचना के लिए मंगलकामनाएँ.

हार्दिक बधाइयाँ.

Comment by Neeraj Neer on March 24, 2014 at 4:49pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 24, 2014 at 10:52am

बहुत खूब भाई नीरज , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥  स्व. साहिर लुधियानवी जी का एक शेर याद आ गया --

अभी न छेड़ मुहब्बत के गीत ऐ मुतरिब

अभी हयात का महौल खुश गवार नही  -साहिर

Comment by Neeraj Neer on March 23, 2014 at 5:16pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी . 

Comment by annapurna bajpai on March 23, 2014 at 12:40am

बहुत खूब , सुंदर रचना बधाई आपको । 

Comment by Neeraj Neer on March 22, 2014 at 8:39pm

हार्दिक आभार आदरणीय अभिनव अरुण जी .. आपके इस कथन ने बहुत उत्साहित किया है .. बहुत धन्यवाद. 

Comment by Abhinav Arun on March 22, 2014 at 7:36am
क्या कहने इस अंदाज़ के नीरज जी ..गहरे और गंभीर प्रश्न खड़े करती कविता स्तुत्य है , बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
4 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service