For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कैसे सराहूँ सौन्दर्य तुम्हारा ..

कहो प्रिय , कैसे सराहूँ

मैं सौंदर्य तुम्हारा.

मैं चाहता हूँ,

तुम्हारे मुख को कहूँ माहताब.
अधरों को कहूँ लाल गुलाब .
महकती केश राशि को संज्ञा दूँ
मेघ माल की .
लहराते आँचल को कहूँ
मधु मालती .
पर, अपवर्तन का अपना नियम है, 
मेरी दृष्टि गुजरती है,
तुम तक पहुचने से पहले
संवेदना के तल से,
और हो जाती है अपवर्तित
सड़क किनारे डस्टबिन में
खाना ढूंढते व्यक्ति पर,
प्लेटफार्म पर भीख मांगते
चिक्कट बालों वाली
छोटी लड़की पर..
देश के भविष्य से खेलते
झूठे वादे और बकवाद करते नेताओं पर.
मेरी संवेदना तुम्हें शायद
अर्थ हीन लगे, पर
यही है मेरा सत्य,
मेरा तल.
कहो! प्रिय, कैसे सराहूँ
मैं सौंदर्य तुम्हारा..


नीरज कुमार ‘नीर’
पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on April 1, 2014 at 11:05pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीया डॉ प्राची सिंह साहिबा .. आपको कविता इतनी भी अच्छी लगी तो लेखन सार्थक हो गया . मैं तो इसे पोस्ट ही नहीं कर रहा था. चार छः महीने से यह रचना पड़ी थी , फिर एक दिन सोचा पोस्ट करता हूँ ... आपका हार्दिक धन्यवाद ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 1, 2014 at 5:49pm

आ० नीरज नीर जी 

रचना जिस ज़मीन पर हुई है मुझे बहुत पसंद आयी... इसी भाव भूमि पर मैंने भी एक रचना लिखी थी 'निगाहें' उसकी याद हो आयी.

मुझे ऐसा अवश्य ही लगा की कथ्य को सपोर्ट करने में रचना में संवेदनशीलता बीच की पंक्तियों में कुछ कम लगी... क्योंकि 'अपवर्तन का नियम' ये शब्द मुझे कुछ रूखापन लिए हुए लगे...

वैसे सुन्दर प्रयास हुआ है 

आपको हार्दिक बधाई 

Comment by Neeraj Neer on March 28, 2014 at 8:55am

हार्दिक आभार आपका आदरणीय सौरभ जी ... रचना पसंद आयी  हार्दिक धन्यवाद . 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 28, 2014 at 1:13am

प्रस्तुति और बिम्बों के हिसाब से रोचक रचना हुई है. कथ्य में नयापन तो नहीं लेकिन उबाऊ भी नहीं है.

इस संवेदनशील रचना के लिए मंगलकामनाएँ.

हार्दिक बधाइयाँ.

Comment by Neeraj Neer on March 24, 2014 at 4:49pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 24, 2014 at 10:52am

बहुत खूब भाई नीरज , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥  स्व. साहिर लुधियानवी जी का एक शेर याद आ गया --

अभी न छेड़ मुहब्बत के गीत ऐ मुतरिब

अभी हयात का महौल खुश गवार नही  -साहिर

Comment by Neeraj Neer on March 23, 2014 at 5:16pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीया अन्नपूर्णा जी . 

Comment by annapurna bajpai on March 23, 2014 at 12:40am

बहुत खूब , सुंदर रचना बधाई आपको । 

Comment by Neeraj Neer on March 22, 2014 at 8:39pm

हार्दिक आभार आदरणीय अभिनव अरुण जी .. आपके इस कथन ने बहुत उत्साहित किया है .. बहुत धन्यवाद. 

Comment by Abhinav Arun on March 22, 2014 at 7:36am
क्या कहने इस अंदाज़ के नीरज जी ..गहरे और गंभीर प्रश्न खड़े करती कविता स्तुत्य है , बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"भाई बृजेश जी, आपको ओबीओ के मेल के जरिये इस व्याकरण सम्बन्धी दोष के प्रति अगाह किया था. लेकिन ऐसा…"
6 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए…"
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और नमन करता हूँ...आपसे आदरणीय नीलेश…"
8 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय नीलेश जी सर्व प्रथम रचना पटल पे उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार....वैसे ये…"
8 hours ago
Admin posted discussions
19 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service