रंग चले निज गेह, सिखाकर
मत घबराना जीने से।
जंग छेड़नी है देहों को,
सूरज, धूप, पसीने से।
शीत विदा हो गई पलटकर।
लू लपटें हँस रहीं झपटकर।
वनचर कैद हुए खोहों में,
पाखी बैठे नीड़ सिमटकर।
सुबह शाम जन लिपट रहे हैं,
तरण ताल के सीने से।
तले भुने पकवान दंग हैं।
शायद इनसे लोग तंग हैं।
देख रहे हैं टुकुर-टुकुर वे,
फल, सलाद, रस के प्रसंग हैं।
मात मिली भारी वस्त्रों को,
गात सज रहे झीने से।
गोद प्रकृति की हर मन भाई।
दुपहर एसी कूलर लाई।
बतियाती है रात देर तक,
सुबह गीत गाती पुरवाई।
बाँट रहे गुल बाग-बाग में,
खुशबू के पल भीने से।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय बैद्यनाथ जी
बहुत ही प्रभावी कलमकारी ...आनंद्तिरेक हूँ ..वाह ! बहुत सुन्दर व पठनीय भी
शीत विदा हो गई पलटकर।
लू लपटें हँस रहीं झपटकर।
वनचर कैद हुए खोहों में,
पाखी बैठे नीड़ सिमटकर।
सुबह शाम जन लिपट रहे हैं,
तरण ताल के सीने से।.....क्या कहने !
प्राची जी, आपने जो भी गलतियाँ बताईं, यह लापरवाही के कारण ही है। साज तो टंकण की अशुद्धि है, और जंग बिलकुल स्त्रीलिंग है, सब मेरी जल्दबाज़ी के कारण ही होता है। मैं अभी दुरुस्त कर देती हूँ। आपका हार्दिक आभार। /सादर
बहुत सहजता से ग्रीष्म ऋतु के आगमन को, उसकी छोटी छोटी बारीकियों को नवगीत में समेटा है...
सुबह शाम जन लिपट रहे हैं,
तरण ताल के सीने से।.......................वाह! तरण ताल के सीने से ,.इस पंक्ति का जवाब नहीं
मात मिली भारी वस्त्रों को,
गात साज रहे झीने से।...................मात्रा एक बढ़ रही है ...शायद साज को सज लिखा हो आपने
और
जंग छेड़ना है देहों को,.....................जंग के साथ छेड़नी शब्द प्रयुक्त होगा क्योंकि जंग स्त्रीलिंग संज्ञा है
सूरज, धूप, पसीने से।
सादर शुभकामनाएं
गीतिका जी, मुझे तो आपको यहाँ देखकर आज बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा है। काफी समय से आप अनुपस्थित रही हैं। फेसबुक की मित्र सूची से जब आपको गायब देखा तो बहुत परेशान हो गई थी, आपको वेब पर बहुत खोजा। न जाने कैसे अनदेखे रिश्ते दिलों को जोड़ देते हैं। खैर, आज बहुत प्रसन्न हूँ। गीत पसंद करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
आदरणीया कल्पना जी
हिन्दी पर आपका अधिकार है..और आप बहुत सुंदर लिखती है.
तले भुने पकवान दंग हैं।
शायद इनसे लोग तंग हैं।
देख रहे हैं टुकुर-टुकुर वे,
फल, सलाद, रस के प्रसंग हैं।
बड़े ही सहज ढंग से लिखा है आपने..पढ़कर बहुत अच्छा लगा..
आदरणीय श्याम नरेन जी,टिप्पणी द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए सादर धन्यवाद
आदरणीय शिज्जु जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद
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