गजल.....जमाना धूल-गर्दिश का
बह्र - 1222, 1222, 1222, 1222
इशारों ही इशारों में, इशारे कर रहे हैं हम।
तरफदारी हमारी तो, हजारों मर रहे हैं हम।।
उदारी नीति पावन पर, दिशा हर बार संहारी,
गरीबी भेड़ जैसी बस, कुॅंओं को भर रहे हैं हम।।1
भिड़े हैं शेर-हाथी गर, शिवा-राणा लड़े गॉंधी,
हमें भी देखिये साहब, गधों से डर रहे हैं हम।2
कहानी जब सुनाते हैं, हमें तो नींद आती है,
उड़ा कर यान मंगल तक, पतन को वर रहे हैं हम।3
निकाले दॉंंत हाथी के, चलाये तीर-अंकुश भी,
कठिन है दुर्दशा कहना, सड़क पर मर रहे हैं हम।4
न जंगल है, न पानी है, बने हैं आशियां ऊँचें,
उड़े पंछी जहॉं चाहें, महज पत्थर रहे हैं हम।5
रहे तन खुश वरण माया, सफलता चूमती नभ को,
छिपा कर घूस काला धन, तरक्की कर रहे हैं हम।।6
नसीहत क्या करें 'सत्यम', जमाना धूल-गर्दिश का,
हवा का रूख जिधर को हो, उधर ही क्षर रहे हैं हम।।7
के0पी0सत्यम/मौलिक और अप्रकाशित
Comment
एक बढ़िया ग़ज़ल कहने का प्रयास ..
इशारों ही इशारों में, इशारे कर रहे हैं हम।...बहुत खूब !
बेहतरीन आदरणीय केवल प्रसाद जी हार्दिक बधाई स्वीकार करें
आदरणीय सत्यम भाई जी , बहुत बेहतरीन ग़ज़ल कही है , हर शे र लाजवाब हैं , आपको दिली बधाइयाँ ॥
आ0 भुवन भाई जी, गजल को पसन्द करने हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत शुकिया। सादर,
आदरणीय इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बधाइयाँ स्वीकार करें .
हर शेर उम्दा है विशेष कर मुझे ये पसंद आया..
न जंगल है, न पानी है, बने हैं आशियां ऊँचें,
उड़े पंछी जहॉं चाहें, महज पत्थर रहे हैं हम।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online