For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रावनो को लक्ष्मनी रेखा नहीं

२१२२ २१२२ २१२


है वतन में कोई भी भूखा नहीं !
लगता है पूरा वतन देखा नहीं

रोटियाँ हाथों में ले रोते रहे
कह रहे थे क्यूँ मिला चोखा नहीं

जुल्म के बाजार कितने भी फलें
रावनो को लक्ष्मनी रेखा नहीं

फूटते ही हैं नहीं घाट पाप के अब
पाप-पुण्यों का कोई लेखा नहीं

फट गयी धरती वहां पर प्यास से
पर यहाँ इक बूँद भी सोखा नहीं

सब हमें छलते रहे हैं रात-दिन
सोचते आशू कहाँ धोखा नहीं


मौलिक व अप्रकाशित

Views: 454

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Satyanarayan Singh on May 22, 2014 at 10:23pm

डॉ. आशुतोष जी इस प्रस्तुति पर सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीय 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 14, 2014 at 4:35pm

ग़ज़ल के अरुज को हिन्दी पद्य नियमों में स्वीकार्य तुकान्तता के सापेक्ष भी ग़ज़ल का काफ़िया असहज है.  
ऐसी प्रस्तुतियों से बचना आवश्यक है आदरणीय
सादर

Comment by Meena Pathak on May 13, 2014 at 10:52am

क्या बात है .... अनुपम .. बधाई | सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 9, 2014 at 11:08am

आदरणीया प्राची जी ..आप ने जिन कमियों के बारे में मुझे जानकारी दी है उन्हें मैं फिर से सुधारने का प्रयत्न करूंगा ...सिनाद दोष के सम्बन्ध में पुनः आदरणीय वीनस जी के लेखों का अध्ययन करूंगा ..मार्गदर्शन और मशविरे के लिए तहे दिल धन्यवाद ,,आप की प्रतिक्रियाए यूं ही सतत मिलती रहे .इसी आकांक्षा के साथ सादर 

Comment by भुवन निस्तेज on May 6, 2014 at 10:54pm
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय, कृपया आदरणीय डा.प्राची सिंह जी की बात पर गौर फरमाए ....

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 6, 2014 at 8:15am

कहन के स्तर पर एक सुन्दर प्रस्तुति 

काफिया निर्धारण दोषपूर्ण हो रहा है आ० आशुतोष जी ..भूखा और देखा में जहां तक मुझे ज्ञात है सिनाद दोष उत्पन्न हो रहा है..इसी तरह सभी हम्काफिया शब्दों को पुनः देख कर आश्वस्त हो लें 

चौथे शेर में घट के स्थान पर घाट टंकित हो गया है.

इस प्रयास पर मेरी शुभकामनाएं 

Comment by coontee mukerji on May 2, 2014 at 3:26am

है वतन में कोई भी भूखा नहीं !
लगता है पूरा वतन देखा नहीं.....बहुत खूब.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 1, 2014 at 10:39pm

सब हमें छलते रहे हैं रात-दिन
सोचते आशू कहाँ धोखा नहीं............दिल को छू गया, दिली बधाई आदरणीय डा. आशुतोष जी

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 1, 2014 at 6:36pm

जुल्म के बाजार कितने भी फलें
रावनो को लक्ष्मनी रेखा नहीं

फूटते ही हैं नहीं घाट पाप के अब
पाप-पुण्यों का कोई लेखा नहीं

सुन्दर भाव युक्त और आज के हालात को बयाँ करती अच्छी रचना डॉ आशुतोष भाई ......
नीचे के शब्द क्या यही है
लक्ष्मनी रेखा , घाट पाप के
भ्रमर ५

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, अभिवादन।  गजल का प्रयास हुआ है सुधार के बाद यह बेहतर हो जायेगी।हार्दिक बधाई।"
45 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service