** मेरे लिए आज मातृ दिवस और माँ की पुण्य तिथि का अद्भुत संयोग है l यह रचना माँ को समर्पित है l
जिंदगीभर कौन देता है खुशी माँ के सिवा
ले अॅधेरा कौन देता रौशनी माँ के सिवा
**
वह लहू को कर सुधा हमको हमेशा पोषती
कौन खुद को यूँ गला दे जिंदगी माँ के सिवा
**
बस रहे खुशहाल जग ये सोचकर भगवान भी
क्या बनाता और अच्छा इक नबी माँ के सिवा
**
दे के रिमझिम जिंदगी भर वो तपन हरती रहे
कौन अपनाता बता दे तिश्नगी माँ के सिवा
**
माँ न मिलती है दुबारा बेदखल घर से न कर
आ मिलेंगे फिर भले ही यूँ सभी माँ के सिवा
**
2122 2122 2122 212
***
मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय भाई सौरभ जी , आपसे सराहना मिली , बांछें खिल गयी . आपका मार्गदर्शन और प्रोत्साहन ही कुछ बेहतर लिखने के लिए प्रेरित करा है . स्नेह मिलता रहे यही कामना है .
अच्छे विचारों से पगी इस ग़ज़ल को पढ़वाने के लिए हार्दिक धन्यवाद, भाईजी
आदरणीय भाई अरुण जी उत्साहवर्धन के लिए आभार
आदरणीय भाई , गिरिराज जी , उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्वाद .
आदरणीय आशुतोष भाई ग़ज़ल की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद. संशय वाली पंक्ति को अब कोमा लगाने के बाद इस प्रकार देखें - कौन खुद को यूँ गला, दे जिंदगी माँ के सिवा . अब आप पंक्ति का भाव स्पष्ट तौर पर समझ सकते है. आभार .
वाह भाई जी वाह इस ग़ज़ल पर हृदयतल से ढेरों ढेरों बधाइयाँ स्वीकारें. जय हो
आदरणीय लक्ष्मण भाई , मातृ सत्ता को परिभाषित करती आपकी बेहतरीन गज़ल के लिये आपको बधाइयाँ ॥
वह लहू को कर सुधा हमको हमेशा पोषती
कौन खुद को यूँ गला दे जिंदगी माँ के सिवा आदरणीय लक्षमण जी ..इस ग़ज़ल के माध्यम से माँ चरित्र दर्शन हुए ..माँ की महिमा मई तस्वीर को उजागर करती इस शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई ..कौन खुद की यूं गला दे जिन्दगी माँ के सिवा ...हो सकता है इस शेर को मैं समझ न पाया हूँ ..मुझे लगा को की जगह की ज्यादा उपयुक्त है ..हो सकता है मैं गलत भी हूँ ..सादर बधाई के साथ
आदरणीय भुवन भाई , ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .
आदरणीय माँ पर समर्पित इस गज़ल कि जितनी भी प्रशंशा की जाए कम है..
कृपया बधाई स्वीकार करें...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online