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हर ग़ज़ल अच्छी बनेगी ये जरूरी तो नहीं

२१२२ २१२२ २१२२ २१२
हर ग़ज़ल अच्छी बनेगी ये जरूरी तो नहीं
दुनिया मुझको ही पढेगी ये जरूरी तो नहीं

फ़ौज सरहद पे खडी हो चाहे दुश्मन की तरह
कोई गोली भी चलेगी ये जरूरी तो नहीं

आज सागर हाथ में माना कि मेरे दोस्तों
प्यास पर मेरी बुझेगी ये जरूरी तो नहीं

इन चिरागों में भरा हो तेल कितना भी भले
रात भर बाती जलेगी ये जरूरी तो नहीं

आज उसकी ही खता है खूब है उसको पता
मांग पर माफी वो लेगी ये जरूरी तो नहीं

जोड़ लो दुनिया की दौलत जीत लो हर जंग ही
जिन्दगी हँस के कटेगी ये जरूरी तो नहीं

मुस्कुरा के इक हसी ने बात कर ली है अगर
हमसफ़र भी वो बनेगी ये जरूरी तो नहीं

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on May 29, 2014 at 3:23pm

हर ग़ज़ल अच्छी बनेगी ये जरूरी तो नहीं
दुनिया मुझको ही पढेगी ये जरूरी तो नहीं .... व्ााह दिल को छूते अशआरों से भरी इस ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ आशुतोष जी

Comment by Meena Pathak on May 29, 2014 at 11:46am

दुनिया मुझको ही पढेगी ये जरूरी तो नहीं..............sach kaha aap ne

bahut khoob ... badhai

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 29, 2014 at 10:52am

बहुत खुबसूरत गजल आदरणीय डा.आशुतोष जी, दिली बधाइयाँ स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 29, 2014 at 9:43am

//हर ग़ज़ल अच्छी बनेगी ये जरूरी तो नहीं 
दुनिया मुझको ही पढेगी ये जरूरी तो नहीं

आज सागर हाथ में माना कि मेरे दोस्तों 
प्यास पर मेरी बुझेगी ये जरूरी तो नहीं

इन चिरागों में भरा हो तेल कितना भी भले 
रात भर बाती जलेगी ये जरूरी तो नहीं

जोड़ लो दुनिया की दौलत जीत लो हर जंग ही 
जिन्दगी हँस के कटेगी ये जरूरी तो नहीं//

वाह आदरणीय आशुतोष सर बेहतरीन ये अशआर तो खासतौर पर कमाल के बन पड़े हैं दिली दाद कुबूल करें

Comment by नादिर ख़ान on May 28, 2014 at 8:26pm

इन चिरागों में भरा हो तेल कितना भी भले 
रात भर बाती जलेगी ये जरूरी तो नहीं .....सही है गारण्टी तो किसी की नहीं है  ।

जोड़ लो दुनिया की दौलत जीत लो हर जंग ही 
जिन्दगी हँस के कटेगी ये जरूरी तो नहीं ....बिल्कुल  खुशी न खरीदी जा सकती है न जंग में जीती जा सकती है 

आदरणीय डॉ आशुतोष जी बहुत खूब लिखा।

मुस्कुरा के इक हसी ने बात कर ली है अगर
हमसफ़र भी वो बनेगी ये जरूरी तो नहीं ...   इक हसी ने  ?? 

Comment by coontee mukerji on May 28, 2014 at 7:49pm

हर ग़ज़ल अच्छी बनेगी ये जरूरी तो नहीं
दुनिया मुझको ही पढेगी ये जरूरी तो नहीं

फ़ौज सरहद पे खडी हो चाहे दुश्मन की तरह
कोई गोली भी चलेगी ये जरूरी तो नहीं.....बहुत खूब.

Comment by gumnaam pithoragarhi on May 28, 2014 at 6:12pm

हर ग़ज़ल अच्छी बनेगी ये जरूरी तो नहीं
दुनिया मुझको ही पढेगी ये जरूरी तो नहीं

waah sir ji  kya baat hai,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by Shyam Narain Verma on May 28, 2014 at 3:50pm
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ।
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on May 28, 2014 at 2:48pm

 sundar gazal - badhaaee

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 28, 2014 at 2:00pm

मैंने पढ  ली है गजल उफ़ क्या कहा है आपने

मगर दूं मैं दाद भाई ये जरूरी तो नहीं i

इरशाद i

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