For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छप्पय छंद
बेटी होना पाप, त्रास में जीवन सारा ।
जन्म पूर्व ही घात, उसे कितनों ने मारा ।।
कंपित होती सांस, वायु है दूषित सारी ।
छेड़ छाड़ हर पाद, नगर गांव बलात्कारी ।।
गली गली में भेडि़या, नोचें बेटी मांस को ।
जीवित होकर लाश हैं, बेटी सह  इस त्रास को ।।
.................
मौलिक अप्रकाशित

Views: 747

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 9, 2014 at 11:23pm

बढिया !

इस अभ्यास के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय.

गांव घर है बलात्कारी .. इस चरण को संयत करन होगा.

Comment by vijay nikore on June 8, 2014 at 11:22am

इस रचना की भावनाएँ मन को छू गईं। बधाई, आदरणीय।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 7, 2014 at 3:18pm

आदरणीय रमेश जी ..वर्तमान परिप्रेक्ष्य में लिखी गयी सटीक और सुंदर रचना ,,,हार्दिक बधाई के साथ सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 7, 2014 at 2:35pm

आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी 

सामयिक परिपेक्ष में बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति दी है आपने

आपको छंदों पर रचनाकर्म करते देखना बहुत सुकून देता है..बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है छप्पय छंद पर..मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारिये 

छंद की चौथी पंक्ति में मात्रिकता एक बार पुनः देख लें 

यदि अंतिम पंक्ति को ऐसा करें तो? "बिटिया ज़िंदा लाश सी, जीती है इस त्रास को" 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 7, 2014 at 12:06pm

प्रिय चौहान जी

आपका कथन सही है  i  आपने  सही निर्वाह किया है i यहाँ तक कित् ग्यारहवी मात्रा भी लघु रखी है i आपको  धन्यवाद i

सादर i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 7, 2014 at 9:33am

बहुत मार्मिक रचना, बधाई आदरणीय रमेश जी

Comment by रमेश कुमार चौहान on June 6, 2014 at 10:43pm

आदरणीय narendrasinh chauhan, Sushil Sarna, Sushil Sarna, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव, शिज्जु शकूरजी एवं आदरणीयाकुतीदी एवं राजेशदी रचना को मान देने के लिये सादर आभार,
       
आदरणीयडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवजी आपके सुझााव एवं मार्गदर्श के लिये सादर धन्यवाद । छप्पय छंद एक रोला एवं एक उल्लाला अथवा एक उल्लाल छंद का मेल होता है । 15, 13 उल्लाल 13,13 उल्लाला होता है । आदरणीय सौरभजी द्वाराभी आगामी चित्र से काव्य तक लिये दिये गये उल्लाला छंद में दी गई है । सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 6, 2014 at 7:45pm

आदरणीय रमेश भाई अच्छी भावाभिव्यक्ति है 

Comment by Shyam Narain Verma on June 6, 2014 at 4:12pm
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई .................
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 6, 2014 at 12:31pm

प्रिय चौहान जी

छप्पय  के प्रथम चार चरण रोला और बाद के दो चरण उल्लाला के होते है  i  रोला में  'गाँव  घर है बलात्कारी' में 13 के स्थान पर 14

मात्राये  है  i यहाँ तक तो फिर ठीक है पर आगे आपने 13,13 पर यति की है , जबकि उल्लाला में 15, 13 पर यति होतीहै  i छबीस मात्राओ वाले छंद भी होते है जैसे- शंकर ,विष्णुपद, कामरूप, झूलना,गीतिक एवं गीता i पर इनमे भी 13,13 पर यति किसी में नहीं होती i आप ओ बी ओ में ही छंद योजना कालम में सौरभ जी के इन छन्दो  पर लेख पढ़े i  इससे से आपके छंद का संगठन शुद्ध होगा और उसकी पठनीयता एवं सम्प्रेषण  शक्ति बढ़ेगी i  सादर i आशा है आप मेरी बातो को अन्यथा नहीं लेंगे i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service