छप्पय छंद
बेटी होना पाप, त्रास में जीवन सारा ।
जन्म पूर्व ही घात, उसे कितनों ने मारा ।।
कंपित होती सांस, वायु है दूषित सारी ।
छेड़ छाड़ हर पाद, नगर गांव बलात्कारी ।।
गली गली में भेडि़या, नोचें बेटी मांस को ।
जीवित होकर लाश हैं, बेटी सह इस त्रास को ।।
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मौलिक अप्रकाशित
Comment
बढिया !
इस अभ्यास के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय.
गांव घर है बलात्कारी .. इस चरण को संयत करन होगा.
इस रचना की भावनाएँ मन को छू गईं। बधाई, आदरणीय।
आदरणीय रमेश जी ..वर्तमान परिप्रेक्ष्य में लिखी गयी सटीक और सुंदर रचना ,,,हार्दिक बधाई के साथ सादर
आदरणीय रमेश कुमार चौहान जी
सामयिक परिपेक्ष में बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति दी है आपने
आपको छंदों पर रचनाकर्म करते देखना बहुत सुकून देता है..बहुत सुन्दर प्रयास हुआ है छप्पय छंद पर..मेरी हार्दिक बधाई स्वीकारिये
छंद की चौथी पंक्ति में मात्रिकता एक बार पुनः देख लें
यदि अंतिम पंक्ति को ऐसा करें तो? "बिटिया ज़िंदा लाश सी, जीती है इस त्रास को"
प्रिय चौहान जी
आपका कथन सही है i आपने सही निर्वाह किया है i यहाँ तक कित् ग्यारहवी मात्रा भी लघु रखी है i आपको धन्यवाद i
सादर i
बहुत मार्मिक रचना, बधाई आदरणीय रमेश जी
आदरणीय narendrasinh chauhan, Sushil Sarna, Sushil Sarna, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव, शिज्जु शकूरजी एवं आदरणीयाकुतीदी एवं राजेशदी रचना को मान देने के लिये सादर आभार,
आदरणीयडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तवजी आपके सुझााव एवं मार्गदर्श के लिये सादर धन्यवाद । छप्पय छंद एक रोला एवं एक उल्लाला अथवा एक उल्लाल छंद का मेल होता है । 15, 13 उल्लाल 13,13 उल्लाला होता है । आदरणीय सौरभजी द्वाराभी आगामी चित्र से काव्य तक लिये दिये गये उल्लाला छंद में दी गई है । सादर
आदरणीय रमेश भाई अच्छी भावाभिव्यक्ति है
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई ................. |
प्रिय चौहान जी
छप्पय के प्रथम चार चरण रोला और बाद के दो चरण उल्लाला के होते है i रोला में 'गाँव घर है बलात्कारी' में 13 के स्थान पर 14
मात्राये है i यहाँ तक तो फिर ठीक है पर आगे आपने 13,13 पर यति की है , जबकि उल्लाला में 15, 13 पर यति होतीहै i छबीस मात्राओ वाले छंद भी होते है जैसे- शंकर ,विष्णुपद, कामरूप, झूलना,गीतिक एवं गीता i पर इनमे भी 13,13 पर यति किसी में नहीं होती i आप ओ बी ओ में ही छंद योजना कालम में सौरभ जी के इन छन्दो पर लेख पढ़े i इससे से आपके छंद का संगठन शुद्ध होगा और उसकी पठनीयता एवं सम्प्रेषण शक्ति बढ़ेगी i सादर i आशा है आप मेरी बातो को अन्यथा नहीं लेंगे i
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