सबकी ऐसे गुजर गयी
हिन्दू देखे ,मुस्लिम देखे इन्सां देख नहीं पाया
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में आते जाते उम्र गयी
अपना अपना राग लिए सब अपने अपने घेरे में
हर इन्सां की एक कहानी सबकी ऐसे गुजर गयी
अपना हिस्सा पाने को ही सब घर में मशगूल दिखे
इक कोने में माँ दुबकी थी , जब मेरी बहाँ नजर गयी
दुनिया जब मेरी बदली तो बदले बदले यार दिखे
तेरी इकजैसी सच्ची सूरत, दिल में मेरे उतर गयी
मौलिक और अप्रकाशित
मदन मोहन सक्सेना
Comment
बहुत शुक्रिया होंसला अफजाई के लिए
हिन्दू देखे ,मुस्लिम देखे इन्सां देख नहीं पाया
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे में आते जाते उम्र गयी
पता नहीं हम कब समझेंगे बड़ी उमरिया बीत गयी ...
सादर मदन मोहन जी!
सुन्दर भाव पूएण रचना के लिये आपको बधाई , आदरणीय मदन मोहन जी ॥
एक संवेदनशील रचना के लिए हार्दिक बधाई आ० मदन मोहन जी ,
तेरी इकजैसी सच्ची सूरत, दिल में मेरे उतर गयी,
आपने पते की बात कही है |
बहुत ही संवेदनशील रचना बहुत अच्छी भावाभिव्यक्ति दाद कुबूल करें
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