For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब से "छपास" का
रोग लगा है.
लिखना रुकता ही नहीं ,
कविता अतुकांत,
कहानी अनगढ़ी ,
बिना यात्रा किये
यात्रा वृतांत,
बिना मिले
विरह वर्णन,
बिना प्यार किये,
रोमांच का सच.
वृद्ध हाथों में
क्रांति की मशाल,
बिना सच जाने
चेतावनी!
क्या मजाल,
कि आप कुछ बोल दें.
जरा सा सच का पर्दा खोल दें
चैनलों पर रात-दिन देखिए,
 पूरे देश में,
"नपुंसक बवाल".

डॉ. विजय प्रकाश शर्मा
(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 766

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 5, 2014 at 12:26am

आ० सौरभ पाण्डेय जी,
रचना ने आपको रोमांचित किया और आपने सराहा .
बहुत- बहुत आभार सह अभिनन्दन.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 5, 2014 at 12:01am

क्या बात .. क्या बात ..  क्या बात !!

बधाई  आदरणीय विजय प्रकाशजी..

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 24, 2014 at 6:46pm

बहुत -बहुत आभार लक्ष्मण प्रसाद जी.स्नेहबनाए रखें.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 24, 2014 at 11:24am

छपास के रूप में यथार्थ अभिव्यक्ति हुई है श्री विजय प्रकाश जी | बधाई 

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 24, 2014 at 11:02am

० प्राची सिंह जी, आपके प्रोत्साहन का हमेशा इंतेजार रहता है.
आभारी हूँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 23, 2014 at 6:01pm

छपास का रोग... या प्रस्तुतियों पर वाहवाही की बेतुक लालसा.... लेखन के पीछे के मकसद को असंयत करती या दरकिनार करती है 

आपका सदिश चिंतन सुन्दरता से प्रस्तुत हुआ है.

तहे दिल से बधाई स्वीकारिये इस प्रस्तुति पर आदरणीय विजय प्रकाश शर्मा जी 

सिर्फ एक आध जगह टंकण त्रुटि रह गयी है..उसे अवश्य ही सही कर लें

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 17, 2014 at 10:23pm

आपका बहुत आभार जवाहर लाल सिंह जी.

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 17, 2014 at 10:20pm

आपको रचना पसंद आई,आपका बहुत आभार डॉ. विजय शंकर जी.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 17, 2014 at 9:09pm

सोलह आने बात सही है। ।बोले तो झकाश, प्रकाश, छपाश। ।देखें तो आकाश!  

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 17, 2014 at 9:03pm
हम हैं , हम कुछ हैं ,
हम बहुत कुछ हैं ,
यह अहसास कराना है ,
हम क्या हैं , क्यों हैं ,
ये तो हमने भी नहीं जाना है
बहत सुन्दर , बहुत सशक्त और सही पकड़ ,
बधाई ,
सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
21 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service