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प्रेमगीत : आँखों ने ख़्वाबों के फूल चुने

पलकों ने चुम्बन के गीत सुने

आँखों ने ख़्वाबों के फूल चुने

 

साँसें यूँ साँसों से गले मिलीं

अंग अंग नस नस में डूब गया

हाथों ने हाथों से बातें की

और त्वचा ने सीखा शब्द नया

 

रोम रोम सिहरन के वस्त्र बुने

 

मेघों से बरस पड़ी मधु धारा

हवा मुई पी पीकर बहक गई

बाँसों के झुरमुट में चाँद फँसा

काँप काँप तारे गिर पड़े कई

 

रात नये सूरज की कथा गुने

-------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2014 at 4:09pm

सुन्दर सुकोमल प्रणय गीत 

हार्दिक बधाई आ० धर्मेन्द्र जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 23, 2014 at 10:25am

आँखों ने ख़्वाबों के फूल चुने,

रात नये सूरज की कथा गुने | - मन में सुंदर गीत रचना के कल्पना रचने के लिए बधाई श्री धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी   

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 22, 2014 at 9:07pm

बेहतरीन शब्द संकलन और भावपूर्ण रचना 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 22, 2014 at 7:20pm

आदरणीय धरमेन्द्र भाई , बारिश की शुरुवात मे सुन्दर प्रणय गीत की रचना हुई है । बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 22, 2014 at 10:04am

बहुत ही सुंदर भाव, बधाई आदरणीय धर्मेन्द्र जी

Comment by Abhinav Arun on June 22, 2014 at 7:20am
बड़े महीन भाव तराशे हैं आदरणीय ने क्या कहने ...पहली बारिश का आनंद दोगुना हुआ ..

मेघों से बरस पड़ी मधु धारा

हवा मुई पी पीकर बहक गई

बाँसों के झुरमुट में चाँद फँसा

काँप काँप तारे गिर पड़े कई

लाजवाब , सुन्दरतम , मधुरतम , साधुवाद आपको इस सृजन रत्न हेतु !!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2014 at 10:13am

एक अलग ही अंदाज की प्रस्तुति!!! ...शृंगार रस में पगी अभिव्यक्ति बहुत खूब ...बधाई आपको आ० धर्मेन्द्र जी 

Comment by Meena Pathak on June 21, 2014 at 8:52am

सुन्दर रचना ... बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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