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एक रत्ती कम न ज़्यादा चाहिए |
मांगते हैं हक़ हमारा चाहिए |
बहुत खूब आ० अरुण भाई -हर शेर लाजवाब है हार्दिक बधाई . साथ ही यह भी कहना है कि - हक़ तुम्हारा है तो हक़ से लीजिए , पर तनिक कर्त्तव्य का निर्वाह भी तो कीजिये .... अन्यथा न लें
आदरणीय अभिनव अरुण भाई , क्या गज़ल कही है ! वाह !! हर शे र एक एक तीर की तरह सही निशाने पर लग रहे हैं ॥ पूरी गज़ल के लिये , हर शे र के लिये अलग अलग दाद हाज़िर है , स्वीकार करें ॥
वाह वाह वाह इस ग़ज़ल के हर शेर की तासीर बयान नहीं की जा सकती सटीक वार किया है आपने हर शेर लाजवाब और सचेत करता हुआ हर शेर के लिये वाह वाह है आदरणीय अभिनव अरुण जी
waah sir ji bahut khoob ,,,badhai sweekaren......................
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