For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भ्रष्टाचार जड़ों में था - डा० विजय शंकर

भ्रष्टाचार जड़ों में था,
वो पत्ते खड़काते रहे , बोले ,
हर पत्ते को खड़का दूंगा ,
भ्रष्टाचार मिटा दूंगा .
पत्ता-पत्ता हिल गया था .
बड़ा शोर औ गुल हुआ था ,
पत्तों का बेइंतहा क्रंदन हुआ था .
हिसाब लगाया गया ,
बड़ा पैसा खर्च हो गया था ,
और नतीजा कुछ नहीं आया था .
पर वे निराश नहीं हुए ,
हताश बिलकुल भी नहीं हुए ,
बोले , पत्ता-पत्ता नुचवा दूंगा .
फिर क्या ,एलान हुआ ,और
पत्ता-पत्ता नोच डाला गया .
पत्ते पुराने थे , पहले से गिर रहे थे
फिर भी बताया गया ,
खर्चा इस बार कुछ
हजार गुना ज्यादा हो गया है .

पर , मौसम बदल चुका था ,
नयी कोपलें फूट रहीं थीं .
बोले , क्या नहीं हो सकता ,
जो कहा , कर डाला है ,
नैये नैये पत्ते आएगें ,
नया ज़माना लायेगें . बस !
जनता के सहयोग की जरुरत है .
सींचिये ! एक एक पेड़ को सींचिये .
गर्मियां आने वाली थीं , लोग
घरों से लोटों में , गिलासों में ,
छोटी-बड़ी बाल्टियों में पानी ,
ला ला कर दिन-दिन भर ,
एक - एक पेड़ सींचने लगे .
एक रुपया ,दो रुपया , पांच रुपया ,
हर बार खर्च करने लगे .
खर्च का बोझ इस बार
जनता ने उठाया था .
इसलिए हिसाब किसी ने
नहीं लगाया था .
लहलहा कर इस बार
नैये नैये पत्ते निकले थे .
कोमल , चिकने , चमकदार .
इतने चमकदार कि खुद पर
एक बून्द पानी ठहरने नहीं देते ,
कोई जड़ के बजाय उन पर दाल दे
तो तुरंत गिरा देते , जड़ों में पहुंचा देते .
जड़ें और मजबूत हो रहीं थीं .
दोनों की उम्मीदें अलग अलग
बल पकड़ रहीं थीं .
उनकीं जड़ों के मजबूत होने से ,
जनता की , पत्तों के चिकने होने से.
अब दोनों खुश थे ,
वो इसलिए कि जड़ें
और मजबूत हो गयी हैं .
जनता इसलिए कि नैये पत्ते
उन्होंने उगाये हैं , चिकने चिकने .
जो उनकें हैं , उनके अपने पत्ते .
लेकिन अच्छाई लोगों को दूर दूर तक
बिलकुल दिखाई नहीं देती और
बुराई की कोई सीमा नहीं दिखती
कुछ बुरे लोग लगातार पूछ रहे हैं ,
कि भ्रष्टाचार मिटा क्यों नहीं .
तंग आकर उन्होंने एक जांच बैठाना
स्वीकार कर लिया है . और ,
जनता ने फिर उत्साह से उसका
खर्च उठाना स्वीकार कर लिया है .

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 638

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 7, 2014 at 2:45am
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 1:32am

बहुत खूब !

भ्रष्टाचार की खूब बखिया उधेड़ने की कोशिश हुयी है. बधाई

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 23, 2014 at 7:27pm
जी , और भ्रष्टाचार का मारा ही उसका बोझ भी उठायेगा.
सादर , बहुत बहुत धन्यवाद आ o गोपाल नारायण जी.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 23, 2014 at 7:18pm

आदरनीय  बंधु  i

बहुत सुन्दर रचना  i कुछ भी हो कटेगा कद्दू ही बेचारा  i  वाह i 

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 23, 2014 at 11:24am
अजेय , अमर भ्रष्टाचार पर और किया भी क्या जा सकता है , व्यंग ही किया जा सकता है ।
आपको व्यंग पसंद आया आ o लक्ष्मण धामी जी , धन्यवाद ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on June 23, 2014 at 11:16am
आदरणीय गिरिराज जी ,
रचना आपको अच्छी लगी , अच्छा लगा , धन्यवाद ,
रही बात समाधान की तो वो तो हम ऐसे ही ढूंढतें हैं ,
एक कविता उस पर भी लिख डालते हैं ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 23, 2014 at 11:12am

भ्रष्टाचार पर अच्छा व्यंग्य किया है आ० विजय शंकर भाई . बहुत बहुत हार्दिक बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 23, 2014 at 10:26am

यही है वास्तविक सच्चाई , आदरनीय विजय भाई , आपको हार्दिक बधाइयाँ । सच है जड़ों मे मठ्ठा डालने की ज़रूरत है , और इधर कोई देखता नही है ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 22, 2014 at 9:53pm
बहुत बहुत धन्यवाद आ o जवाहर लाल जी ,
वो तो है सर्वत्र ,
कोई क्यों ढूंढे इधर उधर ,
वो है नहीं, किधर .
सादर.
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 22, 2014 at 9:29pm

बहुत ही सुन्दर तरीके से आपने व्यंग्य को रक्खा है, आखिर भ्रष्टचार में क्या रक्खा है, जो उधर था आज इधर है, देखता किधर है?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ग्राहक सोचे क्या-क्या ले लूँ , और किसे दूँ छोड़.... सच यही स्थिति होती है सजा हुआ बाज़ार देखकर.…"
8 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंद गीत पर आपकी सराहना ने सृजन को सार्थकता प्रदान की है.…"
11 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, आपको भी दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं. प्रस्तुत…"
12 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हृदय से आभार. सादर "
17 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद *****मिट्टी  के  दीपों  की  जगमग,  दीपों  वाला …"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * शहरों  में  भी   गाँवों  जैसे, सजे  हाट…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाशजी  दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । छंद पर आपका प्रयास सराहनीय…"
8 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । खिल उठता है बुझा हुआ मन, आते जब…"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी चित्रानुकूल बहुत सुन्दर छंद सृजन। हार्दिक बधाई "
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह...दीपोत्सव के हर आयाम को समेट लिया है आपके इस गीत ने।अंतिम छंद का भाव बहुत सार्थक। हार्दिक बधाई…"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी एस टी का जिक्र रोचक बन पड़ा है। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service