For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“देखो नेहा वो अभी भी घूर रहा है” झूमू ने नेहा का हाथ पकड़े-पकड़े हर की पौढ़ी पर  गंगा में डुबकी लगाते हुए कहा|”बहुत बेशर्म है अभी भी बैठा है इसको पता नहीं किस से पाला  पड़ा है, इसका मजनू पना अभी उतारते हैं शोर मचाकर” उसको थप्पड़ दिखाती हुई नेहा आस पास के लोगों को उकसाने लगी|

इसी बीच में न जाने कब झूमू का हाथ छूट गया और वो तीव्र बहाव में बहने लगी|छपाक!!!!! आवाज आई और कुछ ही देर में वो युवक झूमू को बचाकर बाहर निकाल लाया|

थोड़ी दूर  खड़ा एक पुलिस वाला भी आ गया और  “बोला इन साहब का शुक्रिया अदा करो ये इंटरनेश्नल स्वीमर चेम्पियन स्वप्निल झा जी  हैं जो हरिद्वार घूमने आये हुए हैं  और  निःस्वार्थ एक हफ्ते  से लोगों की हेल्प कर रहे हैं न जाने कितने डूबते हुए  लोगों को बचा चुके हैं”

अपलक देखती नेहा को वो युवक  बोला “ मैडम अपनी आँखों से  ये चश्मा उतारिये जो सिर्फ एक ही रंग देखता है  दुनिया में और भी रंग हैं” !!!!  

मौलिक और अप्रकाशित

------------------------

Views: 1077

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 23, 2014 at 9:05am

जितेन्द्र भैय्या ,आपने सही कहा परिस्थितियों के वशीभूत ही इंसान की सोच बनती है जो कभी कभी गलत साबित होती है जिससे बाद में आत्मग्लानि भी होती है ,आपको रचना पसंद आई बहुत- बहुत शुक्रिया आपका| 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 23, 2014 at 9:02am

आ० गुमनाम पिथौर गढ़ी जी ,आपको लघु कथा पसंद आई बहुत- बहुत शुक्रिया| 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 23, 2014 at 8:16am

माहौल इतना खराब है, किसपे यकीन करें पता ही नहीं होता, मुकम्मल तौर पर नेहा को ग़लत नहीं कहा जा सकता क्यूँकि किसके दिल में क्या कौन जानता है।
इस रचना के लिये सादर बधाई

Comment by Meena Pathak on June 23, 2014 at 7:36am

बहुत सुन्दर और सटीक बात आप ने अपनी लघुकथा के माध्यम से कही है आदरणीया राजेश जी | ऐसे लोग अगर अपना चश्मा उतार कर देखें तो दुनिया में बहुत सी अच्छाईयां भी हैं  पर जिन्हें सिर्फ बुराइयां देखने की आदत हो वो अपना चश्मा क्यूँ उतारे | 

सुन्दर लघुकथा हेतु बहुत बहुत बधाई आप को | सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 22, 2014 at 11:40pm

बहुत बढ़िया लघुकथा आदरणीया राजेश दीदी, कुछ लोगों को देखा है अक्सर जैसी सोच या माहोल उन्हें मिलता है वो उसी तरह की बातें सोचा ही करते है, हमेशा ऐसी सोच वाले  लोग जो गर्म दूध से जले होते है  अक्सर छाछ को भी गर्म कर लेते है. बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by gumnaam pithoragarhi on June 22, 2014 at 10:04pm

लघुकथा पढ़ कर अच्छा लगा. हार्दिक बधाई आपको.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 22, 2014 at 9:39pm

आ० जवाहर लाल सिंह जी ,आपको लघुकथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ ,हार्दिक आभार |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 22, 2014 at 9:21pm

आपने बहुत ही बेहतरीन तरीके से सच के दूसरे पहलू को रक्खा है। ऐसा भी होता है… 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 22, 2014 at 8:33pm

आ० डॉ विजय शंकर जी ,हार्दिक आभार आपका |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 22, 2014 at 8:33pm

आ० मंजरी जी, बहुत- बहुत शुक्रिया आपको ये लघुकथा पसंद आई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. आज़ी तमाम भाई "
10 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आ. आज़ी भाई मतले के सानी को लयभंग नहीं कहूँगा लेकिन थोडा अटकाव है . चार पहर कट जाएँ अगर जो…"
17 minutes ago
Aazi Tamaam commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"बेहद ख़ूबसुरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय निलेश सर मतला बेहद पसंद आया बधाई स्वीकारें"
28 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आ. आज़ी तमाम भाई,अच्छी ग़ज़ल हुई है .. कुछ शेर और बेहतर हो सकते हैं.जैसे  इल्म का अब हाल ये है…"
29 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आ. सुरेन्द्र भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है बोझ भारी में वाक्य रचना बेढ़ब है ..ऐसे प्रयोग से…"
39 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेंदर भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई आपको , गुनी जन की बातों का ख्याल कीजियेगा "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय आजी भाई , ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है , दिली बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"वाह वा , आदरणीय लक्ष्मण भाई बढ़िया ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय आजी भाई उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. सुरेन्द्र भाई "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आभार आ. गिरिराज जी "
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service