For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

१२२२   १२२२   १२२२    १२२२ 

 

मिलो गर ज़िन्दगी से तुम कोई फ़रियाद मत करना

बिठाना बैठना हँस  लेना दिल  नाशाद  मत करना

 

रखो दिल  काबू में  पहली नज़र के प्यार में यारो

जमाना कहता खुद को कैस ओ फरहाद मत करना

 

किताबें मजहबी रहने दो इन अलमारियों में बंद

मिलो जो आदमी से पोथियों को याद मत करना

 

सियासत की फरेबी चाल में फंसकर ऐ लोगो तुम

मुहब्बत चैन अमन को तुम कभी बर्बाद मत करना

 

मैं उधड़े जख्मो की तुरपाई में जीवन ये जीता हूँ

मेरे गम से  खुदा  मुझको  कभी आज़ाद मत करना

 

मौलिक व अप्रकाशित

गुमनाम पिथौरागढ़ी

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2014 at 12:41am

आपकी इस प्रस्तुति पर दिली दाद प्रेषित है. सुधीजनों के कहे पर ध्यान देना उचित होगा.

शुभेच्छाएँ.

Comment by Santlal Karun on July 20, 2014 at 7:48am

आदरणीय गुमनाम जी,

ग़ज़ल अच्छी है, हार्दिक साधुवाद, किन्तु राजेश कुमारी जी के सुझाव गौर करने लायक हैं |

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 18, 2014 at 5:04pm
dhnywaad dosto ,,,,,,,,,,,,,,,
Comment by वेदिका on July 18, 2014 at 11:47am
बढ़िया प्रयास हुआ है। जो कहना चाह रही थी जहाँ आ0 राजेश दीदी ने पहले ही कह दिया। संज्ञान करें।
बधाई स्वीकार करें!!
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 17, 2014 at 11:49pm

किताबें मजहबी रहने दो इन अलमारियों में बंद

मिलो जो आदमी से पोथियों को याद मत करना...........वाह! क्या बात कही है आदरनी गुमनाम जी. दिली बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 17, 2014 at 10:10pm

गुमनाम जी ,बहुत अच्छा प्रयास है मतला अच्छा लगा भाव स्पष्ट भी है |दुसरे शेर का भाव सानी में उलझ गया है,यही तीसरे शेर में हुआ उला बहुत जबरदस्त लेकर चले किन्तु सानी में स्पष्ट कम हो गई विशवास है  इन को आप दुरुस्त कर सकते हैं |

सियासत की फरेबी चाल में फंसकर ऐ लोगो तुम

मुहब्बत चैन अमन को तुम कभी बर्बाद मत करना------इसकी तक्तीअ दुबारा कर लीजिये ,भाव बहुत अच्छे तथा स्पष्ट हैं 

अंतिम शेर भी अच्छा है 

आपको बहुत- बहुत बधाई 

 

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 17, 2014 at 9:04pm

shukriya dosto ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by mrs manjari pandey on July 17, 2014 at 7:26pm
किताबें मजहबी रहने दो इन अलमारियों में बंद
मिलो जो आदमी से पोथियों को याद मत करना
आदरणीय गुमनाम जी भावपूर्ण ग़ज़ल के लिए बधाई
Comment by Zaif on July 17, 2014 at 5:05pm
बहुत उम्दा सर ! वाह !!
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 17, 2014 at 4:04pm

गुमनाम जी

भाव की बात करे तो सभी अशआर बेहतरीन  i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service